शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

सुप्रीम कोर्ट: बच्चे के कल्याण को सर्वोपरि मानते हुए पिता को सौंपी गई अंतरिम कस्टडी

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New Delhi News: सुप्रीम कोर्ट ने एक नाबालिग लड़के की अंतरिम कस्टडी उसके पिता को सौंपने के पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। शीर्ष अदालत ने बच्चे के कल्याण को सर्वोपरि बताते हुए यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने मां के आचरण की कड़ी निंदा की जिसने भारत और ब्रिटेन की अदालतों को बच्चे के ठिकाने के बारे में गुमराह किया।

जस्टिस जे के माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की पीठ ने महिला के आचरण पर चिंता व्यक्त की। पीठ ने कहा कि यह मामला पति और पत्नी के बीच गहरे तनाव को दर्शाता है। यह तनाव भारत में एक साथ रहने और बच्चों के पालन-पोषण को लेकर दोनों के अलग-अलग इरादों के कारण उत्पन्न हुआ।

पीठ ने कहा कि इस विवाद से न केवल उनके वैवाहिक संबंध खराब हुए हैं, बल्कि उनके दो बच्चों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। एक बच्चा अपनी मां के साथ ब्रिटेन में रह रहा है। नवंबर 2010 में शादी करने वाले इस दंपत्ति के बीच संबंधों में लंबे समय से अनबन चल रही थी।

अदालत ने कहा कि यह महज अहंकार का टकराव नहीं है। प्रथम दृष्टया यह चिंताजनक मानसिकता को दर्शाता है। इससे अंततः नाबालिग बच्चों के कल्याण पर प्रभाव पड़ा। पीठ ने महिला के आचरण का जिक्र करते हुए कहा कि उसने अपने बेटे को भारत में छोड़ते समय पिता को सूचित करने का कर्तव्य नहीं निभाया।

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बेंच ने कहा कि यह महिला का कर्तव्य था कि वह ब्रिटेन के उच्च न्यायालय में आवेदन करते समय यह बताए कि लड़का वहां उसके साथ नहीं रहता। इस तरह के आचरण के कारण पिता को ब्रिटेन उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद बच्चे से ऑनलाइन मुलाकात करने से वंचित रखा गया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि महिला कभी अपने बेटे को उसके पिता से मिलने नहीं देना चाहती थी। अदालत के आदेश को लेकर उसके मन में जरा भी सम्मान नहीं था। मां ने भारत और ब्रिटेन की न्यायिक प्रणाली के साथ जोड़-तोड़ की।

यह मामला एक पति और पत्नी के बीच लंबे समय से चल रहे वैवाहिक कलह से उपजा है। विवाद तब बढ़ गया जब 8 मई 2021 को मां अपनी नाबालिग बेटी के साथ पिता की जानकारी के बिना यूनाइटेड किंगडम चली गईं। उन्होंने अपने नाबालिग बेटे को भारत में अपने माता-पिता की देखरेख में छोड़ दिया था।

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पति ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसकी पत्नी मई 2021 में उसे बताए बिना दोनों बच्चों के साथ भारत छोड़कर ब्रिटेन चली गई। बाद में पता चला कि नाबालिग बेटा सास-ससुर के साथ भारत में है। इसके बाद उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुप्रीम कोर्ट ने 16 सितंबर को दिए गए अपने फैसले में कहा कि महिला को लंदन की एक अदालत से तलाक लेने की अनुमति मिली। पुरुष को जींद की अदालत से तलाक की अनुमति मिली। दोनों पक्ष तलाक चाहते हैं लेकिन अलग-अलग न्यायालयों के आदेशों को चुनौती देते रहे।

मध्यस्थता के प्रयास विफल हो गए हैं। बेंच ने कहा कि लड़के की अंतरिम अभिरक्षा उसके पिता को सौंपने का हाई कोर्ट का फैसला सही है। कोर्ट ने बच्चे के नाना को निर्देश दिया कि वो पंद्रह दिनों के भीतर नाबालिग की कस्टडी पिता को सौंप दें।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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