India News: सुप्रीम कोर्ट ने मोटर दुर्घटना में बच्चों के मुआवजे संबंधी एक बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि दुर्घटना में बच्चे की मृत्यु या स्थायी दिव्यांगता की स्थिति में मुआवजे की गणना अब कुशल श्रमिक के न्यूनतम वेतन के आधार पर की जाएगी। यह फैसला मध्य प्रदेश के एक मामले में दिया गया।
अदालत ने निर्देश दिया कि राज्य में दुर्घटना के समय कुशल श्रमिक का जो न्यूनतम वेतन होगा, उसे ही बच्चे की आय माना जाएगा। दावेदार को न्यायाधिकरण के समय न्यूनतम वेतन के दस्तावेज पेश करने होंगे। यदि वह ऐसा नहीं कर पाता तो यह जिम्मेदारी बीमा कंपनी की होगी।
पहले कैसे होती थी गणना?
इस फैसले से पहले तक बच्चों की मृत्यु या दिव्यांगता की स्थिति में मुआवजे की गणना नोशनल इनकम के आधार पर की जाती थी। वर्तमान में यह राशि 30,000 रुपये वार्षिक थी। अब मध्य प्रदेश में कुशल श्रमिक का न्यूनतम वेतन 14,844 रुपये मासिक यानी 495 रुपये दैनिक के आधार पर गणना होगी।
मामले का इतिहास
यह मामला इंदौर के आठ वर्षीय हितेश पटेल का है। अक्टूबर 2012 में एक वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी थी। दावा न्यायाधिकरण ने तीन लाख नब्बे हजार रुपये मुआवजा दिया था। हाई कोर्ट ने इसे बढ़ाकर आठ लाख पैंसठ हजार रुपये कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इस अपील पर सुनवाई करते हुए मुआवजे की राशि बढ़ाकर 35 लाख 90 हजार रुपये कर दी। अदालत ने फैसले की प्रति सभी मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरणों को भेजने का निर्देश दिया है। इससे देश भर में लंबित मामलों पर significant प्रभाव पड़ेगा।
