शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

सुप्रीम कोर्ट: अनुसूचित जनजातियों पर हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम लागू नहीं, बेटियों को संपत्ति अधिकार पर बड़ा सुनाया फैसला

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National News: सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जनजातियों के संपत्ति अधिकारों पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं होता। यह फैसला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को पलटते हुए आया है।

मामला तीरथ कुमार बनाम दादूराम से संबंधित था। हिमाचल प्रदेश के सवाड़ा जनजाति समुदाय के पारिवारिक विवाद में यह सवाल उठा था। हाईकोर्ट ने बेटियों को संपत्ति अधिकार देने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को रद्द कर दिया।

संवैधानिक प्रावधानों का हवाला

सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 342 का हवाला दिया। अदालत ने कहा कि अनुसूचित जनजातियों की सूची में बदलाव केवल राष्ट्रपति की अधिसूचना से हो सकता है। सवाड़ा जनजाति अभी भी अधिसूचित जनजाति सूची में शामिल है। इसे सूची से हटाने का कोई प्रमाण पेश नहीं किया गया।

अदालत ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 2(2) का उल्लेख किया। इस धारा में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह अधिनियम अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं होता। केंद्र सरकार विशेष अधिसूचना जारी करके इसे लागू कर सकती है। अभी तक ऐसी कोई अधिसूचना जारी नहीं हुई है।

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हाईकोर्ट के फैसले को रद्द किया

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि बेटियों को समान अधिकार मिलने चाहिए। हाईकोर्ट का मानना था कि समाज को आगे बढ़ाने के लिए कानूनों में बदलाव होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया। अदालत ने कहा कि कानून स्पष्ट है।

सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं होता। यह स्थिति कानून में पूरी तरह स्पष्ट और स्थापित है। अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले को कानूनी रूप से गलत बताया। सुप्रीम कोर्ट का फैसला अब अंतिम माना जाएगा।

जनजातीय संस्कृति और परंपराओं का सम्मान

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय समाज में अनुसूचित जनजातियों की अपनी विशिष्ट संस्कृति है। इन समुदायों की अपनी परंपराएं और सामाजिक ढांचे हैं। इन पर समान रूप से हिंदू कानून थोपना न्यायसंगत नहीं होगा। जनजातीय समुदायों की स्वायत्तता का सम्मान होना चाहिए।

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अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 341 और 342 का उल्लेख किया। इन अनुच्छेदों में स्पष्ट व्यवस्था की गई है। अनुसूचित जातियों और जनजातियों की सूचियों में संशोधन का अधिकार केवल राष्ट्रपति को है। कोई राज्य सरकार या अदालत इस अधिकार का प्रयोग नहीं कर सकती।

कानूनी प्रभाव

इस फैसले का देश भर की अनुसूचित जनजातियों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। संपत्ति विवादों में अब हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम लागू नहीं होगा। जनजातीय समुदायों की पारंपरिक विरासत प्रथाएं जारी रहेंगी। केंद्र सरकार चाहे तो विशेष अधिसूचना जारी कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कानूनी स्थिति पूरी तरह स्पष्ट है। अदालतों को संवैधानिक प्रावधानों का पालन करना चाहिए। जनजातीय समुदायों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। कानून में स्पष्टता होने के बाद भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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