शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

सुप्रीम कोर्ट: हिमाचल में सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, जानें किन को मिली राहत

Share

Himachal News: सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें सरकारी जमीन पर कब्जों को अवैध घोषित किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने त्रिलोचन सिंह बनाम हिमाचल सरकार मामले में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश जारी किए। हाईकोर्ट ने जरूरतमंदों, किसानों और बागबानों द्वारा किए गए कब्जों को अवैध करार दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश विक्रमनाथ और संदीप मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया। अदालत ने हाईकोर्ट के कब्जे हटाने के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले में आगे की सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया। इससे प्रदेश के हजारों लोगों को राहत मिली है।

हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पांच अगस्त 2025 को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था। अदालत ने हिमाचल प्रदेश भू राजस्व अधिनियम की धारा 163-ए को असंवैधानिक और मनमाना बताया था। इस फैसले के बाद सरकारी भूमि पर सभी कब्जे अवैध हो गए थे। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार की वन टाइम सेटलमेंट नीति को भी चुनौती दी थी।

धर्मशाला निवासी याचिककर्ता त्रिलोचन सिंह ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विनोद शर्मा और गौरव कुमार ने पैरवी की। उन्होंने बताया कि याचिककर्ता पिछले पांच दशक से उस जमीन पर रह रहा है जो पंचायत से पट्टे पर मिली थी।

यह भी पढ़ें:  हिमाचल प्रदेश मुख्य सचिव: प्रबोध सक्सेना का सेवानिवृत्ति पर क्या भव्य सम्मान, जानें अब कौन संभालेगा कार्यभार

सरकार की वन टाइम सेटलमेंट नीति

हिमाचल प्रदेश सरकार ने 29 मई 2000 को एक अधिसूचना जारी की थी। भू राजस्व अधिनियम की धारा 163-ए के तहत सरकारी भूमि पर कब्जों को नियमित करने का प्रयास किया गया। सरकार ने अगस्त 2002 से पहले हुए कब्जों के बारे में जानकारी मांगी थी। इसके लिए लोगों से आवेदन आमंत्रित किए गए थे।

प्रदेश भर से एक लाख सड़सठ हजार तीन सौ उनतालीस लोगों ने आवेदन दिए थे। याचिकाकर्ता ने भी आठ अगस्त 2002 को अपना आवेदन दिया था। सरकार का उद्देश्य वन टाइम सेटलमेंट के तहत कब्जों को नियमित करके लोगों को राहत देना था। यह नीति जरूरतमंदों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाई गई थी।

याचिकाकर्ता का पक्ष

याचिकाकर्ता के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि उनका मुवक्किल अतिक्रमणकारी नहीं है। जमीन पंचायत से पट्टे पर प्राप्त हुई थी। याचिकाकर्ता पिछले पांच दशकों से उस जमीन पर रह रहा है और खेतीबाड़ी कर रहा है। हाईकोर्ट ने उन्हें अपना पक्ष रखने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया।

यह भी पढ़ें:  सड़क हादसा: चंबा-चांजू मार्ग पर सड़क धंसने से लटकी बस, जानें कैसे बची पांच लोगों की जान

अधिवक्ता विनोद शर्मा ने कहा कि यह जमीन का छोटा सा टुकड़ा है जिस पर याचिकाकर्ता अपना जीवन यापन कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया और मध्यांतर आदेश पारित किया। अदालत ने जमीन की वर्तमान स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश पारित किया है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। इस आदेश से उन सभी लोगों को राहत मिली है जिन्होंने नियमों के तहत आवेदन दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले को आगे की कार्यवाही के लिए स्वीकार कर लिया है। अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करना शुरू कर दिया है। इस फैसले का प्रदेश के हजारों परिवारों पर सीधा असर पड़ेगा।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

Read more

Related News