New Delhi: तिरुपति प्रसादम मामले में सीबीआई निदेशक की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 26 सितंबर को सुनवाई करेगा। सीबीआई ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें कहा गया था कि एजेंसी ने जांच प्रक्रिया का उल्लंघन किया। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीबीआई निदेशक की ओर से अदालत से अनुरोध किया कि सुनवाई की तारीख 29 सितंबर के बजाय 26 सितंबर कर दी जाए। उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि इस मामले में पांच मिनट से अधिक समय नहीं लगेगा। मुख्य न्यायाधीश ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए मामले को शुक्रवार की सुनवाई सूची में शामिल करने का आदेश दिया।
हाईकोर्ट के आदेश की पृष्ठभूमि
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सीबीआई निदेशक ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया है। हाईकोर्ट ने पाया कि सीबीआई अधिकारी जे. वेंकट राव को विशेष जांच दल का सदस्य नामित नहीं किया गया था। इसके बावजूद उन्हें जांच का अधिकार दिया गया जो कि अनुचित था।
सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2024 में आदेश दिया था कि इस मामले की जांच एक स्वतंत्र एसआईटी करेगी। इस टीम में दो सीबीआई अधिकारी, दो आंध्र प्रदेश पुलिस अधिकारी और एफएसएसएआई का एक वरिष्ठ अधिकारी शामिल होना था। हाईकोर्ट ने कहा कि सीबीआई ने इस आदेश का पालन नहीं किया।
जांच प्रक्रिया में अनियमितता के आरोप
जे. वेंकट राव पर कडुरु चिन्नापन्ना ने उत्पीड़न का आरोप लगाया था। हाईकोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया कि राव ने चिन्नापन्ना को बार-बार तिरुपति स्थित एसआईटी कार्यालय में बुलाया। उन पर लिखित झूठे बयान देने का दबाव डाला गया।
चिन्नापन्ना ने आरोप लगाया कि इन कार्यवाहियों की वीडियोग्राफी की गई थी। उनसे दबाव में बयान लिखवाए गए थे। यह मामला तिरुमला तिरुपति देवस्थानम में प्रसादम तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे घी में मिलावट की जांच से जुड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहले ही एक स्वतंत्र एसआईटी गठित करने का आदेश दिया था। कोर्ट का मानना था कि एक निष्पक्ष जांच के लिए यह आवश्यक है। इस टीम में विभिन्न एजेंसियों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया था।
अब सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना है कि क्या सीबीआई ने वास्तव में कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया है। कोर्ट का निर्णय इस मामले में जांच प्रक्रिया की दिशा तय करेगा। यह मामला संवैधानिक संस्थानों के बीच अधिकार क्षेत्र के महत्वपूर्ण सवाल उठाता है।
तिरुपति मंदिर प्रसादम मामला
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम देश के सबसे धनी मंदिरों में से एक है। यहां प्रतिदिन हजारों भक्तों को प्रसादम वितरित किया जाता है। प्रसादम तैयार करने में उपयोग होने वाली सामग्री की गुणवत्ता एक संवेदनशील मामला है।
घी में मिलावट के आरोपों ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। भक्तों की आस्था से जुड़े होने के कारण इस मामले का व्यापक प्रभाव है। एक पारदर्शी और निष्पक्ष जांच की मांग लगातार उठ रही है।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह मामला न्यायिक पर्यवेक्षण और जांच एजेंसियों की स्वतंत्रता के महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करता है। कोर्ट का निर्णय भविष्य में ऐसे मामलों के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है।
