Shimla News: सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में अनियंत्रित विकास से पर्यावरण को हो रहे नुकसान के मामले में स्वत: संज्ञान लिया है। जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को मामले की सुनवाई की। अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के दौरान हिमाचल में एक और भयावह पर्यावरणीय घटना घटित हुई। अदालत ने इस पर गंभीर चिंता व्यक्त की। एमिकस क्यूरी ने सुझाव दिया कि मामले के व्यापक दायरे को देखते हुए एक समिति गठित की जाए।
राज्य सरकार की रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश सरकार की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के ग्लेशियरों का पांचवां हिस्सा गायब हो चुका है। इससे नदियों के तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। जलवायु परिवर्तन का पहाड़ों की सुरक्षा पर भी विपरीत असर हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही चेतावनी दी थी कि जलवायु परिवर्तन का राज्य पर स्पष्ट और चिंताजनक प्रभाव पड़ रहा है। अदालत ने कहा था कि अनियंत्रित विकास जारी रहा तो हिमाचल प्रदेश एक दिन नक्शे से गायब हो सकता है।
भविष्य की कार्रवाई
कोर्ट ने राज्य सरकार को पर्यावरण संरक्षण के उपायों की विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। सरकार ने चार सप्ताह के भीतर यह रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। रिपोर्ट में भविष्य की योजनाओं का भी उल्लेख है।
अदालत ने मामले में 23 सितंबर को अपना आदेश पारित करने की घोषणा की। इस निर्णय से राज्य में पर्यावरण संरक्षण के भविष्य के मार्गदर्शन की उम्मीद है। सभी पक्ष कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं।
