Sonipat News: Supreme Court की जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने न्यायपालिका की कार्यप्रणाली को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने फैसलों को बार-बार पलटने की कोशिशों पर चिंता जताई है। जस्टिस नागरत्ना ने साफ कहा कि जज बदलने से कोर्ट के फैसले नहीं बदलने चाहिए। यह बात उन्होंने सोनीपत की ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में आयोजित एक सम्मेलन में कही।
स्याही से लिखे जाते हैं फैसले
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि अदालती फैसले पक्के होने चाहिए। फैसले स्याही से लिखे जाते हैं, रेत पर नहीं। उन्होंने वकीलों और शासन व्यवस्था से जुड़े लोगों को नसीहत दी है। केवल जजों का चेहरा बदलने पर फैसले को पलटने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। यह Supreme Court और पूरी न्याय व्यवस्था के सम्मान के लिए जरूरी है। सभी का कर्तव्य है कि वे दिए गए निर्णयों का आदर करें।
शासन का अहम हिस्सा है न्यायपालिका
जस्टिस ने बताया कि न्यायपालिका देश के शासन का मुख्य अंग है। अदालतें भारतीयों के भविष्य से जुड़े अहम सवालों पर निर्णय लेती हैं। कानून का शासन बनाए रखना जजों की जिम्मेदारी है। जब भी नियमों का उल्लंघन होता है, कोर्ट को अपना फर्ज निभाना पड़ता है। लोगों का भरोसा बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है।
राजनीति से दूरी है जरूरी
जस्टिस नागरत्ना ने जजों के निजी आचरण पर भी जोर दिया। एक निष्पक्ष व्यवस्था के लिए राजनीति से दूरी बहुत जरूरी है। जजों का व्यवहार हमेशा संदेह से परे होना चाहिए। 26 नवंबर को Supreme Court ने भी फैसलों को पलटने पर चिंता जताई थी। पिछली बेंचों के आदेश को नई बेंच द्वारा बदलना सही परंपरा नहीं है। इससे मुकदमों का अंतहीन सिलसिला शुरू हो जाता है।
