India News: सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या रोकथाम के लिए देशव्यापी दिशानिर्देश जारी किए हैं। सभी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, होस्टल और कोचिंग संस्थानों को इनका पालन करना अनिवार्य है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने यह फैसला विशाखापत्तनम में 14 जुलाई 2023 को एक नीट छात्रा की मौत के मामले में दिया। कोर्ट ने पुलिस जांच में खामियां पाईं और सीबीआई को जांच सौंपी। ये दिशानिर्देश तब तक लागू रहेंगे, जब तक सरकार नए नियम नहीं बनाती।
मानसिक स्वास्थ्य नीति और काउंसलर की नियुक्ति
सभी शिक्षण संस्थानों को मानसिक स्वास्थ्य नीति बनानी होगी, जिसकी वार्षिक समीक्षा होगी। 100 से अधिक छात्रों वाले संस्थानों में योग्य मनोवैज्ञानिक या काउंसलर की नियुक्ति अनिवार्य है। छोटे संस्थान बाहरी विशेषज्ञों की मदद लें। छात्र-काउंसलर अनुपात संतुलित रखा जाए। परीक्षा या तनाव के समय मार्गदर्शक नियुक्त हों। इन कदमों से छात्रों को मानसिक सहायता मिलेगी और आत्महत्या की घटनाओं को रोका जा सकेगा।
आपातकालीन प्रोटोकॉल और हेल्पलाइन
कोर्ट ने आपातकालीन स्थितियों के लिए लिखित प्रोटोकॉल बनाने का आदेश दिया। आत्महत्या हेल्पलाइन नंबर संस्थानों और होस्टलों में स्पष्ट रूप से प्रदर्शित हो। शिक्षकों और कर्मचारियों को साल में दो बार मानसिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण दिया जाए। कमजोर पृष्ठभूमि के छात्रों के प्रति संवेदनशीलता बरती जाए। उत्पीड़न, रैगिंग या भेदभाव के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। शिकायत प्रणाली गोपनीय हो और बदले की कार्रवाई को बर्दाश्त न किया जाए।
माता-पिता की जागरूकता और करियर काउंसलिंग
माता-पिता को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति नियमित जागरूक करना होगा। उनसे बच्चों पर दबाव न डालने की अपील की गई। संस्थानों को वार्षिक रिपोर्ट नियामक संस्थाओं को भेजनी होगी। खेल और कला जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देना होगा। करियर काउंसलिंग की सुविधा दी जाए, ताकि छात्र तनावमुक्त होकर करियर चुन सकें। आवासीय संस्थानों में सुरक्षित माहौल और उपकरण सुनिश्चित किए जाएं।
कोटा जैसे शहरों में विशेष सजगता
कोटा, जयपुर, हैदराबाद और दिल्ली में बाहरी छात्रों की बड़ी संख्या को देखते हुए शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन को मानसिक स्वास्थ्य की निगरानी करनी होगी। राज्यों को दो महीने में कोचिंग केंद्रों के रजिस्ट्रेशन और सुरक्षा नियम लागू करने होंगे। डीएम निगरानी समितियां बनाएं। केंद्र सरकार 90 दिनों में कोर्ट को आदेश पालन की जानकारी दे। यह कदम आत्महत्या रोकथाम में मदद करेगा।
नेशनल टास्क फोर्स के साथ सहयोग
सुप्रीम कोर्ट ने पहले एक नेशनल टास्क फोर्स बनाई थी, जो मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या रोकथाम पर अध्ययन कर रही है। यह फैसला दूसरी बेंच की सुनवाई के खिलाफ नहीं है। इसे टास्क फोर्स की सहायता माना जाए। इन दिशानिर्देशों से शिक्षण संस्थानों में छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होगा और आत्महत्या जैसी घटनाएं कम होंगी।
सुप्रीम कोर्ट के 15 दिशानिर्देश
- सभी संस्थान मानसिक स्वास्थ्य नीति बनाएं, जिसकी वार्षिक समीक्षा हो।
- 100+ छात्रों वाले संस्थानों में काउंसलर नियुक्त करें, छोटे संस्थान बाहरी विशेषज्ञों से मदद लें।
- छात्र-काउंसलर अनुपात संतुलित रखें, तनाव के समय मार्गदर्शक नियुक्त करें।
- छात्रों को टॉपर या रिपीटर जैसे ग्रुप में न बांटें।
- आपातकालीन प्रोटोकॉल बनाएं, हेल्पलाइन नंबर प्रदर्शित करें।
- शिक्षकों को साल में दो बार मानसिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण दें।
- कमजोर पृष्ठभूमि के छात्रों के प्रति संवेदनशीलता बरतें।
- गोपनीय शिकायत प्रणाली बनाएं, उत्पीड़न पर सख्त कार्रवाई करें।
- माता-पिता को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करें।
- वार्षिक रिपोर्ट नियामक संस्थाओं को भेजें।
- खेल और कला गतिविधियों को बढ़ावा दें।
- करियर काउंसलिंग की सुविधा दें।
- आवासीय संस्थानों में सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करें।
- सुरक्षित उपकरण लगाएं, छत जैसी जगहों पर रोक लगाएं।
- कोटा जैसे शहरों में विशेष निगरानी करें।
