शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

सुप्रीम कोर्ट: प्रधान न्यायाधीश पर जूता फेंकने की कोशिश, कांग्रेस ने की निंदा; जानें जिस नेता ने क्या कहा

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New Delhi: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक बड़ी घटना घटी। एक वरिष्ठ वकील ने प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी आर गवई की ओर जूता उछालने का प्रयास किया। इस घटना ने पूरे न्यायिक परिसर में सदमे की लहर दौड़ा दी। कांग्रेस पार्टी ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह सीजेआई पर नहीं, बल्कि भारत के संविधान पर हमला है।

घटना सुप्रीम कोर्ट की एक नियमित कार्यवाही के दौरान घटी। मयूर विहार निवासी 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर मंच के पास पहुंचा। उसने अपना जूता निकाला और न्यायाधीशों की बेंच की ओर उछालने की कोशिश की। इस दौरान अदालत कक्ष में मौजूद लोग स्तब्ध रह गए।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति गवई ने इस पूरी स्थिति में अद्भुत संयम दिखाया। उन्होंने अदालत की गरिमा बनाए रखी और कार्यवाही जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने मौजूद वकीलों से शांत रहकर अपनी दलीलें जारी रखने को कहा।

कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने इस घटना पर गहरी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि प्रधान न्यायाधीश पर यह हमला हमारे संविधान पर हमला है। उन्होंने कहा कि इसकी निंदा करने के लिए शब्द पर्याप्त नहीं हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया पर इस घटना को शर्मनाक और घृणित बताया। उन्होंने कहा कि यह हमारी न्यायपालिका की गरिमा और कानून के शासन पर हमला है। उन्होंने इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की।

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राहुल गांधी की प्रतिक्रिया

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि प्रधान न्यायाधीश पर हमला न्यायपालिका की गरिमा पर हमला है। उन्होंने कहा कि देश में इस तरह की घृणा के लिए कोई जगह नहीं है।

कांग्रेस के मीडिया विभाग प्रमुख पवन खेड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की चुप्पी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देश के प्रधान न्यायाधीश पर हमले के घंटों बाद भी उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

घटना के बाद की प्रतिक्रियाएं

सोनिया गांधी ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश गवई बहुत सहृदय व्यक्ति हैं। उन्होंने कहा कि पूरे राष्ट्र को गहरी पीड़ा और आक्रोश के साथ उनके साथ एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए। यह घटना देश के लिए चिंता का विषय है।

मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने बयान में कहा कि जब सर्वोच्च न्यायिक पद पर बैठे व्यक्ति को इस तरह निशाना बनाया जाता है, तो यह बहुत परेशान करने वाली बात है। उन्होंने कहा कि यह घटना डराने और अपमानित करने का प्रयास है।

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राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की चुप्पी इस हमले की मौन स्वीकृति है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अक्सर छोटी-छोटी घटनाओं पर ट्वीट करते हैं, लेकिन इस गंभीर मामले में वे चुप हैं।

इस पूरे प्रकरण ने न्यायपालिका की सुरक्षा और सम्मान पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। विधिक विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाएं न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालती हैं और कानून के शासन के लिए चुनौती पैदा करती हैं।

भविष्य की चुनौतियां

यह घटना देश में बढ़ रही अशांति और असम्मान की संस्कृति को दर्शाती है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता और गरिमा की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है। इस घटना से पूरे न्यायिक तंत्र में गंभीर चर्चा शुरू हो गई है।

अब नजर इस बात पर है कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है। आरोपी वकील के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ती है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। यह मामला न्यायिक सुरक्षा के मुद्दे को फिर से केंद्र में ले आया है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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