Delhi News: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को महिला वकीलों के लिए चैंबर आवंटन में आरक्षण की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई। भावी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। जस्टिस सूर्यकांत ने सवाल किया कि जब न्यायिक सेवा में 60% महिलाएं बिना आरक्षण के पदों पर हैं, तो चैंबर आवंटन में आरक्षण की क्या जरूरत है।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि न्यायिक सेवा में लगभग 60% महिला अधिकारी बिना किसी आरक्षण के योग्यता के बल पर पदों पर पहुंची हैं। उन्होंने कहा कि यह विरोधाभासी है कि जहां महिलाएं योग्यता से आगे बढ़ रही हैं, वहीं चैंबर आवंटन में विशेषाधिकार की मांग क्यों की जा रही है। पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने चैंबरों की अवधारणा पर ही सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि चैंबरों की अवधारणा को खत्म कर देना चाहिए और केवल कार्यस्थल होने चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की नई बिल्डिंग में महिलाओं के लिए अलग बार रूम और अन्य सुविधाओं के प्रबंध का जिक्र किया।
पीठ ने विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों की जरूरतों पर भी ध्यान दिया। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि नई बिल्डिंग में दिव्यांजनों के लिए एस्केलेटर जैसी सुविधाएं होंगी। ये सुविधाएं अगले 50 साल तक की जरूरतों को पूरा करेंगी। इससे कोर्ट परिसर को सबके लिए सुलभ बनाने की कोशिश साफ दिखती है।
याचिका में 25 साल से अधिक अनुभव रखने वाली महिला वकीलों के लिए चैंबर आवंटन की मांग भी शामिल है। इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की प्रतीक्षा सूची में शामिल ऐसी वकीलों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। इस मांग पर भी पीठ ने विचार किया।
सुनवाई के दौरान पीठ ने महिला वकीलों के लिए क्रेच सुविधाओं पर ध्यान देने का सुझाव दिया। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि पारिवारिक दबाव के कारण कई युवा महिला पेशेवरों को काम छोड़ना पड़ता है। ऐसे में क्रेच जैसी सुविधाएं उनके लिए मददगार साबित हो सकती हैं।
मामला भक्ति पसरीजा एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य के नाम से दर्ज है। याचिका में देश भर की अदालतों और बार एसोसिएशनों में महिला वकीलों के लिए समान और लैंगिक-संवेदनशील नीति बनाने की मांग की गई है। पीठ ने इस पर केंद्र सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी किया है।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अगर चैंबर आवंटन में वरीयता दी जाती है तो विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों के बारे में भी सोचना होगा। उन्होंने कहा कि कानूनी पेशे में दिव्यांजनों का भी तहे दिल से स्वागत किया जाता है। इसलिए सभी की जरूरतों को ध्यान में रखना जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट की नई इमारत में महिला वकीलों के लिए अलग बार रूम, कैंटीन और पुस्तकालय की व्यवस्था पर काम चल रहा है। यह कदम महिला वकीलों के लिए बेहतर कार्य माहौल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। न्यायालय ने इन सुविधाओं को लेकर गंभीरता दिखाई है।
मामले की अगली सुनवाई का इंतजार किया जा रहा है। इस दौरान केंद्र सरकार और अन्य पक्ष अपने जवाब दाखिल करेंगे। यह मामला न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी और उनके लिए कार्य स्थितियों में सुधार से जुड़ा महत्वपूर्ण मुद्दा उठाता है।
