Delhi News: विधानसभा से पारित विधेयकों को लटकाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल पर तीखी टिप्पणी की है. कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा कि ये बिल 2020 से लंबित हैं। आखिर आप तीन दिन तक इनके साथ क्या कर रहे थे?
शीर्ष अदालत में केरल और पंजाब के मुद्दे पर भी ऐसे ही मामलों की सुनवाई हुई. कोर्ट ने पूछा कि क्या राज्यपाल बिल को विधानसभा में वापस भेजे बिना उसे होल्ड पर रख सकते हैं. कोर्ट की यह टिप्पणी राज्यपाल आरएन रवि द्वारा 10 बिल सरकार को वापस भेजे जाने के बाद आई है.
राज्यपाल आरएन रवि द्वारा लौटाए गए 10 विधेयकों में से 2 को पिछली अन्नाद्रमुक सरकार के दौरान मंजूरी दी गई थी। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की और कहा कि आप तीन साल से बिल क्यों दबाए बैठे थे. वे उनके साथ क्या कर रहे थे? राज्यपाल के लौटने के बाद शनिवार को विधानसभा ने विशेष सत्र बुलाया था. इस सत्र में सभी 10 विधेयक दोबारा पारित कर मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास वापस भेज दिए गए। आपको बता दें कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को भी सरकार के साथ मिलकर काम करने की सलाह दी थी.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि राज्यपाल चुनी हुई सरकार नहीं हैं. उन्हें सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए और ऐसे मामले हमारे पास नहीं आने चाहिए. सोमवार को तमिलनाडु मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, ‘विधानसभा ने फिर से विधेयक पारित कर राज्यपाल को भेज दिया है. अब देखते हैं राज्यपाल क्या करते हैं. इसके साथ ही पीठ ने अगली सुनवाई 1 दिसंबर को करने का फैसला किया है. पीठ ने कहा कि एक बार विधेयक दोबारा पारित होने पर वे धन विधेयक के समान होंगे.
डीएमके सरकार ने कोर्ट में कहा था कि राज्यपाल का काम सार्वजनिक आदेशों को टालने जैसा है. चुनी हुई सरकार द्वारा पारित विधेयकों को लटकाना ठीक नहीं है. इतना ही नहीं, सरकार ने कहा कि इसके लिए एक तय समयसीमा होनी चाहिए, जिसमें राज्यपाल इस बिल को पास कर दें. गौरतलब है कि तमिलनाडु की तरह पंजाब और केरल के राज्यपालों को लेकर भी विवाद चल रहा है. बेंच ने पंजाब के राज्यपाल को कड़ी फटकार लगाते हुए यहां तक कहा था कि आपको आग से नहीं खेलना चाहिए. चुनी हुई सरकार द्वारा पारित विधेयकों को रोकना ठीक नहीं है.