New Delhi News: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के विश्वास नगर के कस्तूरबा नगर में अवैध घरों को ढहाए जाने के लिए चल रहे डीडीए के अभियान पर सात दिन के लिए रोक लगा दी है ताकि वहां रहने वाले लोग जगह खाली कर सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह ये आदेश मानवीय आधार पर जारी कर रहा है अगर ये लोग 29 मई तक जगह खाली नहीं करते तो डीडीए को अन्य एजेंसियों की मदद से अवैध निर्माण ढहाने का अभियान फिर शुरू कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सात दिन की रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वह अवैध निर्माण ढहाने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगा। यानी कि अवैध निर्माण ढहाने का दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश बरकरार है सिर्फ डिमोलिशन अभियान पर सात दिन की रोक लगाई गई है ताकि लोग खुद से जगह खाली कर सकें।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्वास के मुद्दे पर दिल्ली सरकार व डीडीए को नोटिस जारी किया है। मामले में कोर्ट 11 जुलाई को फिर सुनवाई करेगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने वहां रह रहे लोगों को अवैध कब्जेदार मानते हुए 14 मार्च को डीडीए को अवैध निर्माण हटाने की इजाजत दी थी। हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ कस्तूरबा नगर रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट आयी थी।
तत्काल सुनवाई की मांग
डीडीए ने सोमवार की सुबह आठ बजे से अवैध निर्माण ढहाने की कार्रवाई शुरू कर दी थी। सोमवार को याचिकाकर्ता रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से
पेश वकील ने न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस व न्यायमूर्ति संजय करोल की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष मामले का जिक्र करते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की।
वकील ने पीठ से कहा कि डीडीए इस चिलचिलाती गर्मी में घरों को गिरा रही है। अगर कोर्ट यथास्थिति का आदेश नहीं देगा तो डीडीए सारे घर गिरा देगी। लोगों के रहने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है। डीडीए की ओर से पेश वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने अवैध निर्माण तोड़ने की इजाजत दी है क्योंकि ये सब अवैध कब्जेदार हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश में दखल नहीं: SC
डीडीए की वकील सुनीता ओझा ने कोर्ट से कहा कि जिस आदेश को याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है वह आदेश 14 मार्च का है। कोर्ट को बताया गया कि अवैध निर्माण ढहाने की कार्रवाई सुबह आठ बजे से चल रही है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कहा कि जहां तक याचिकाकर्ता लोगों के वहीं पर अपने घरों में रहने के अधिकार का मामला है तो यह अदालत दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश में दखल नहीं देगी।
हालांकि मानवीय आधार पर उन्हें जगह खाली करने के लिए सात दिन का समय दिया जाता है। अगर ये सात दिन में जगह खाली नहीं करते तो डीडीए को सामान्य तौर पर जिस भी एजेंसी की मदद लेती है उसकी मदद से निर्माण ढहाने की कार्रवाई फिर शुरू करने का अधिकार होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 12.15 पर आदेश जारी किया और डीडीए की वकील से कहा कि वह आज ही 12.30 तक इस आदेश की जानकारी अपने मुवक्किल को दे दें। कोर्ट ने पुनर्वास के सीमित मुद्दे पर नोटिस जारी किया और मामले को 11 जुलाई को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया है।