Himachal News: सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट के सेब के पेड़ काटने के आदेश पर रोक लगा दी। 2 जुलाई के आदेश में वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने और सेब बागों को काटने को कहा गया था। पूर्व उपमहापौर टिकेंद्र पंवर और राजीव राय की याचिका पर सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की पीठ ने यह फैसला सुनाया।
याचिका में उठाए गए मुद्दे
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में हाईकोर्ट के आदेश को मनमाना बताया गया। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह आदेश पर्यावरण और संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ है। सेब के बाग मिट्टी स्थिरता और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। मानसून में पेड़ काटने से भूस्खलन और मिट्टी कटाव का खतरा बढ़ता है। याचिका में स्थायी समाधान की मांग की गई।
पर्यावरण और आजीविका पर खतरा
याचिका में कहा गया कि सेब के बाग हिमाचल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। ये हजारों किसानों की आजीविका का आधार हैं। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से पहले 3,800 से अधिक पेड़ काटे जा चुके हैं। मानसून में बड़े पैमाने पर पेड़ काटना भूकंपीय क्षेत्र में भूस्खलन का जोखिम बढ़ाता है। याचिकाकर्ताओं ने पर्यावरणीय प्रभाव आकलन की कमी पर सवाल उठाया।
किसानों का विरोध
हिमाचल किसान सभा और सेब उत्पादक 29 जुलाई को शिमला सचिवालय पर प्रदर्शन करेंगे। वे बेदखली और पेड़ काटने के खिलाफ आवाज उठाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से किसानों को राहत मिली है। याचिका में सुझाव दिया गया कि सरकार बागों का अधिग्रहण या फलों की नीलामी जैसे विकल्प अपनाए। यह कदम पर्यावरण और किसानों के हितों को संतुलित करेगा।
