Haryana/Rajasthan News: उत्तर भारत का ‘सुरक्षा कवच’ मानी जाने वाली अरावली पहाड़ियों को लेकर तनाव बढ़ गया है। Supreme Court के एक हालिया फैसले ने राजस्थान और हरियाणा में हलचल मचा दी है। कोर्ट ने 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को खनन के लिए खोलने की बात कही है। इस आदेश के बाद दोनों राज्यों के करीब 100 गांवों पर अस्तित्व का संकट मंडरा रहा है। लोग अब इस फैसले के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं और अरावली बचाओ अभियान तेज हो गया है।
100 गांवों पर मंडराया बड़ा खतरा
यह संकट करीब 6 जिलों में फैला हुआ है। हरियाणा के नूंह के आसपास के 40 गांव सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। वहीं राजस्थान के तिजारा, खैरथल, किशनगढ़वास और अलवर जैसे इलाकों के 60 से ज्यादा गांव इसकी जद में हैं। Supreme Court के आदेश के बाद खनन शुरू होने का डर लोगों को सता रहा है। मेवात आरटीआई मंच ने इसके खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। उनका मानना है कि खनन से न केवल पर्यावरण बल्कि लोगों के घर भी उजड़ जाएंगे।
पीएम और राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन
फैसले के विरोध में मेवात आरटीआई मंच ने आर-पार की लड़ाई शुरू कर दी है। मंच ने नायब तहसीलदार के जरिए देश के शीर्ष नेतृत्व को ज्ञापन भेजा है। इसमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और Supreme Court से फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील की गई है। मंच के अध्यक्ष सुबोध कुमार जैन ने बताया कि 13 गांव ऐसे हैं जहां पहाड़ियां 100 मीटर से कम हैं। अगर यहां खनन हुआ तो भारी तबाही मचेगी।
ऐतिहासिक धरोहरों पर भी संकट
खनन खुलने से फिरोजपुर झिरका, तावडू और पुन्हाना जैसे क्षेत्रों का भूगोल बदल सकता है। इन पहाड़ियों पर कई ऐतिहासिक इमारतें मौजूद हैं। प्राचीन मंदिर, मस्जिद, दरगाह और किले खनन की भेंट चढ़ सकते हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों ने भी Supreme Court से अपील की है। उनका कहना है कि अरावली सिर्फ पहाड़ नहीं, बल्कि उत्तर भारत का जीवन है। इसे खनन के लिए खोलना आने वाली पीढ़ियों के साथ अन्याय होगा।
