World News: सूडान के दारफुर इलाके का आखिरी मजबूत किला अल-फशर अब रैपिड सपोर्ट फोर्सेज के हाथों में चला गया है। सेना के चीफ जनरल अब्देल फत्ताह अल-बुरहान ने सोमवार रात आधिकारिक घोषणा की कि उनकी फौज वहां से पीछे हट रही है। यह विकास दारफुर क्षेत्र में सैन्य संतुलन को पूरी तरह बदल देगा।
रैपिड सपोर्ट फोर्सेज ने अल-फशर शहर में भारी हिंसा मचाई है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियोज में भागते लोगों पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई जा रही हैं। एक क्लिप में हथियारबंद लड़ाकों द्वारा बच्चे को गोली मारते देखा जा सकता है। सूडान डॉक्टर्स नेटवर्क ने इसे जघन्य नरसंहार करार दिया है।
सेना प्रमुख का बयान
जनरल अल-बुरहान ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि रैपिड सपोर्ट फोर्सेज व्यवस्थित तरीके से हत्याएं कर रही है। उन्होंने कहा कि सेना शहर को पूरी तरह तबाह नहीं होने दे सकती। इस निर्णय के बाद सेना का आखिरी गढ़ भी छिन गया है। अब दारफुर पूरी तरह से आरएसएफ के नियंत्रण में है।
रैपिड सपोर्ट फोर्सेज ने मुख्य सैन्य बेस पर अपना झंडा लहरा दिया है। इसके बाद उनके लड़ाके जमकर जश्न मना रहे हैं। यह स्थिति शहर में फंसे लगभग ढाई लाख लोगों के लिए चिंता का कारण बन गई है। इनमें से आधे से अधिक बच्चे हैं जिनके पास न तो दवा है और न ही पर्याप्त भोजन।
मानवीय संकट गहराया
अल-फशर शहर में दर्जनों लाशें सड़कों पर पड़ी हुई हैं। अस्पतालों पर हमले किए गए हैं और दवाइयां लूटी गई हैं। डॉक्टरों को पीटा जा रहा है। चिकित्सा सुविधाएं पूरी तरह ठप हो चुकी हैं। अल जज़ीरा ने सूडान डॉक्टर्स नेटवर्क के हवाले से आरएसएफ के हमले को जघन्य नरसंहार बताया है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सूडान की स्थिति पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि सूडान में जो कुछ हो रहा है वह इंसानियत के खिलाफ है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार आरएसएफ भागते लोगों को गोली मार रही है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क नेचेतावनी दी है कि बड़े पैमाने पर नरसंहार का खतरा हर पल बढ़ रहा है। उन्होंने जातीय नफरत की स्पष्ट झलक देखने की बात कही है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने हिंसा रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है।
मानवाधिकार संगठनों ने सूडान में हो रही हिंसा की कड़ी निंदा की है। उन्होंने दोनों पक्षों से नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। संयुक्त राष्ट्र ने मानवीय सहायता पहुंचाने के रास्ते खोलने की अपील की है। लाखों लोग भोजन और दवा की कमी से जूझ रहे हैं।
क्षेत्रीय असर
दारफुर में बढ़ती हिंसा से पड़ोसी देशों में भी चिंता बढ़ गई है। शरणार्थियों का प्रवाह बढ़ने की आशंका है। क्षेत्रीय स्थिरता पर इसके गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय शांति वार्ता को फिर से शुरू करने के प्रयास कर रहा है।
सूडान में संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है। अल-फशर का पतन इस संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा। दारफुर क्षेत्र में स्थिति और अधिक जटिल हो गई है। नागरिक आबादी को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।
