Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में एक दवा घोटाले ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। जून 2025 में आई शासकीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि बच्चों को बुखार के इलाज के लिए दी जा रही पैरासिटामॉल सिरप अमानक है। यह सिरप 2023 में सैंपल के तौर पर लिया गया था, लेकिन दो साल बाद अब इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं।
अमानक सिरप का विवरण
रिपोर्ट के अनुसार, धार की एक दवा कंपनी द्वारा सप्लाई की गई पैरासिटामॉल सिरप का बैच नंबर 4179 था। इस सिरप की 4,000 यूनिट जिले के शासकीय अस्पतालों में वितरित की गई थी। जांच में पाया गया कि सिरप में पैरासिटामॉल पूरी तरह से घुल नहीं रहा था। इससे दवा की प्रभावशीलता कम हो गई, जिसका मतलब है कि यह बच्चों के बुखार के इलाज में बेअसर थी।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही
यह दवा घोटाला स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है। सिरप की सैंपलिंग 2023 में ही हो गई थी, लेकिन इसका वितरण 2024 में पूरे जिले में किया गया। जून 2025 में जब जांच रिपोर्ट आई, तब जाकर यह बात सामने आई कि सिरप अमानक थी। पिछले तीन महीनों में यह दूसरा मौका है, जब शासकीय आपूर्ति की दवा गुणवत्ता जांच में फेल हुई है।
जांच में देरी का मुद्दा
सैंपलिंग के बाद दवा की जांच में ढाई साल की देरी ने स्वास्थ्य विभाग की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जांच रिपोर्ट आने से पहले ही दवा का वितरण करना बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ है। इस मामले ने शासकीय अस्पतालों में दवा आपूर्ति की गुणवत्ता और निगरानी प्रणाली की खामियों को उजागर किया है।
बच्चों की सेहत पर खतरा
बालाघाट के शासकीय अस्पतालों में बच्चों को दी गई यह अमानक सिरप स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा सकती थी। ऐसी दवाओं का उपयोग न केवल इलाज को प्रभावित करता है, बल्कि मरीजों की जान को भी खतरे में डाल सकता है। यह मामला जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाता है।
