Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार आपदा प्रभावित लोगों के लिएविशेष राहत पैकेज लाएगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार को विधानसभा में यह घोषणा की। प्रदेश की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने संबंधी प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा की घड़ी में केंद्र से हिमाचल को मदद मिले न मिले, पर राज्य सरकार सभी आपदा प्रभावितों की मदद करेगी।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि आपदा से अब तक जो भी नुकसान हुआ है, राज्य सरकार इसकी भरपाई करेगी। सुक्खू ने विधानसभा में हिमाचल मे आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने से संबंधित एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इसे चर्चा के बाद पारित करा कर केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
विपक्ष का मांगा साथ
मुख्यमंत्री ने कहा- मैंने केंद्र से प्रदेश को आपदाग्रस्त राज्य घोषित करने की मांग की ताकि प्रदेश को भुज, केदारनाथ और जोशीमठ त्रासदी की तर्ज पर आर्थिक मदद मिल सके। केंद्र की ओर से अभी तक कोई राहत पैकेज नहीं मिला है। पूर्व सरकार के समय में 315 करोड़ रुपए आडिट आब्जेक्शन के कारण पेडिंग थे, सरकार ने इसे दूर किया है। केंद्र सरकार के रिलीफ मैनुअल में 1.25 लाख एक किलोमीटर सड़क का मिलता है। उन्होंने प्रधानमंत्री से इस राशि में बढ़ौतरी करने की मांग की है। विपक्ष को राष्ट्रीय आपदा के लिए लाए प्रस्ताव का समर्थन करना चाहिए।
केंद्र से मदद की अपील
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की ओर से की गई घोषणा में से अभी तक कुछ भी हिमाचल को नहीं मिला है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 200 करोड़ तत्काल देने की बात कही थी और सड़कों की आर्डनरी रिपेयर के भी पैसे देने की बात की थी। इस पर हिमाचल ने नेशनल हाइवे के लिए 60-70 करोड मांगे थे, लेकिन अब तक यह भी नहीं मिले हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को 10 करोड़ अपने बजट से एनएच को दुरूस्त करने के लिए खर्च करने पड़े हैं। प्रदेश सरकार ने 10 अगस्त तक 8700 करोड़ के नुकसान के प्रस्ताव केंद्र को भेजा है लेकिन केंद्र से अभी तक कुछ भी नहीं मिला है।
अपात्रों को आपदा राहत दी तो सख्त कारवाई
मुख्यमंत्री ने कहा कि राहत एवं बचाव कार्यों के लिए जो हेलीकॉप्टर केंद्र ने उपलब्ध करवाए थे उनके राज्य सरकार को 36 करोड़ रुपए देने हैं। वहीं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के आपदा प्रभावित लोगों की बजाए अपात्रों को आपदा राहत राशि देने के आरोप पर मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि अगर पात्र को राहत राशि नहीं मिली और उनकी जगह दूसरों को दी गई है तो उसकी विपक्ष सूची उपलब्ध कराए। यदि किसी सरकारी अधिकारी ने गलत किया है। किसी दूसरे को राहत राशि दी है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
12 हजार करोड़ का नुकसान, 275 मौतें
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर साल मॉनसून के दौरान औसतन 1000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है लेकिन इस साल 9000 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष नुकसान हुआ है। अप्रत्यक्ष नुकसान को मिलाकर यह 12000 करोड़ का है। इस त्रासदी में 17 सितंबर तक बहुमूल्य 275 मानव जीवन की हानि हुई है जिसमें से भूस्खलन से 112, बाढ़ से 19, बादल फटने 14, पानी में डूबने से 37, बिजली गिरने से 16, पेड़ एवं चट्टान के गिराने से 47 और अन्य आपदाओं के कारण 30 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है जबकि 39 व्यक्ति लापता हैं। इसके अतिरिक्त सड़क हादसों 166 लोगों की मृत्यु हुई है। इस तरह इस साल कुल 441 लोगों की मौत हुई है।
200 से ज्यादा गांवों में धंसी जमीन
मुख्यमंत्री ने कहा कि त्रासदी ने कई गांवों को नष्ट कर दिया गया है। 200 से ज्यादा गांव जमीन धंसने से प्रभावित हुए हैं। पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोगों को राहत शिविरों में रहना पड़ा है। कई जिलों में राहत शिविर अभी भी चल रहे हैं। दो दर्जन से ज्यादा सड़कें अभी भी बंद हैं। यह प्रदेश के लिए अभूतपूर्व आपदा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रमुख राज्य और जिला सड़कों के अलावा, सभी राष्ट्रीय राजमार्ग-कालका-शिमला, रोपड़-मनाली, पठानकोट-मंडी, कांगड़ा-शिमला बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, जिससे लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही बाधित हुई।
तत्काल आर्थिक मदद की जरूरत
सीएम ने कहा कि इसके अतिरिक्त कुल्लू और लाहौल स्पीति जिलों को जोड़ने वाली सम्पर्क मार्ग भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। इस साल जब राज्य में आपदा आई, तो पर्यटन गतिविधियां चरम पर थीं। राज्य में 75,000 से अधिक पर्यटक मौजूद थे लेकिन आपदा के कारण उनके कार्यक्रम रद्द हो गए। इससे भारी नुकसान हुआ। सेब और अन्य फसलें तुड़ाई के लिए तैयार हैं। इन्हें मंडियों तक समय पर आवाजाही के लिए अच्छी सड़कों की आवश्यकता है। प्रदेश में अक्टूबर और नवंबर में पर्यटन सीजन प्रारंभ होता है, जिस दौरान बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। ऐसे में सड़क संपर्क को बहाल करने के लिए धन की तत्काल जरूरत है।
पहले दिन हंगामा, विपक्ष की नारेबाजी, वाकआउट
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत हंगामापूर्ण रही। विपक्षी दल भाजपा ने प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान भारी बारिश से हुए जान-माल के नुकसान के मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव मंजूर नहीं होने पर सत्र के पहले ही दिन आज सदन से वॉकआउट कर दिया। भाजपा ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नियम-67 के तहत काम रोको प्रस्ताव का नोटिस विधानसभा अध्यक्ष को दिया था। विपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष से आपदा के मुद्दे पर तुरंत चर्चा की मांग की लेकिन इसे खारिज कर दिया गया। विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच मुख्यमंत्री ने नुकसान को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने संबंधी प्रस्ताव सदन में रखा।