जगन्नाथपुरी मंदिर में विदेशी नागरिकों के प्रवेश का ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल ने समर्थन किया है। यह दशकों से बहस का मुद्दा रहा है। गणेशी लाल ने कहा कि अगर कोई विदेशी, गजपति, सेवकों और जगतगुरु शंकराचार्य से मिल सकता है तो उसे भगवान जगन्नाथ से भी मिलने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है।
मंदिर के सेवकों ने किया राज्यपाल के सुझाव का विरोध
वहीं,मंदिर के सेवकों और जगन्नाथ संस्कृति के शोधकर्ताओं ने राज्यपाल के सुझाव से असहमति जताई है और इसका विरोध करते हुए कहा कि मंदिर की परंपराओं और प्रथाओं को नहीं तोड़ा जाना चाहिए। मंदिर के सिंह द्वार (मुख्य प्रवेश द्वार) पर स्पष्ट लिखा गया है कि मंदिर में सिर्फ हिंदुओं के प्रवेश की अनुमति है।
जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक है जहां भगवान विष्णु के रूप भगवान जगन्नाथ की उनके बड़े भाई भगवान बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ पूजा की जाती है। गर्भगृह में सिर्फ हिंदुओं को ही देवताओं की पूजा करने की अनुमति है। मंदिर में गैर-हिंदुओं के प्रवेश की प्रथा सदियों से चली आ रही है। हालांकि, गैर-हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति क्यों नहीं है, इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं है, लेकिन कुछ इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि मुस्लिम शासकों द्वारा मंदिर पर किए गए हमलों के कारण ऐसा कदम उठाया गया होगा। वहीं, कई लोगों का कहना है कि मंदिर के निर्माण के समय से ही गैर-हिंदुओं को मंदिर मे प्रवेश की अनुमति नहीं है
नौ दिवसीय रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ के दर्शन कर सकते हैं गैर-हिंदू
भगवान जगन्नाथ हर साल जून-जुलाई में नौ दिवसीय रथ यात्रा (कार उत्सव) के अवसर पर अपने भाई और बहन के साथ बड़ा डंडा आते हैं। इस दौरान गैर-हिंदू उनके दर्शन कर सकते हैं। जैसे ही देवता अपने जन्मस्थान गुंडिचा मंदिर में जाते हैं, दुनिया भर से भक्त भगवान की एक झलक पाने के लिए पुरी में उमड़ पड़ते हैं।
पूर्व पीएम इंदिर गांधी को भी नहीं दी गई थी मंदिर में प्रवेश की अनुमति
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी साल 1984 में जगन्नाथ पुरी मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई थी। सेवादारों ने मंदिर में उनके प्रवेश का विरोध किया था। इंदिरा गांधी ने एक गैर-हिंदू से शादी की थी, जिस कारण उनके प्रवेश का विरोध किया गया था। इसके चलते उन्होंने दूर से ही,रघुनंदन पुस्तकालय से भगवान के दर्शन किए थे। इसके अलावा भी कई बार ऐसा हुआ है जब दूसरे देशों की प्रतिष्ठित हस्तियों को उनके भारते दौरे के दौरान मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई है।