Manila News: दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता के खिलाफ फिलीपींस अब खुलकर मोर्चा संभाल रहा है। राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर के नेतृत्व में देश ने ताइवान के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाया है और जापान से युद्धपोत हासिल कर अपनी नौसेना को मजबूत किया है। यह बदलाव न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर फिलीपींस की चिंताओं को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वह अब चीन की दादागीरी के सामने चुप नहीं रहेगा।
ताइवान के साथ गहराता रक्षा सहयोग
फिलीपींस ने ताइवान के साथ रक्षा संबंधों को चुपके से मजबूत किया है। ताइपे टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फिलीपींस के रक्षा मंत्री गिल्बर्ट टियोडोरो ने कहा, “ताइवान की सुरक्षा का असर हम पर पड़ना तय है।” इस साल ताइवान ने अमेरिका, जापान और फिलीपींस के संयुक्त सैन्य अभ्यास में अपने पर्यवेक्षक भेजे। दोनों देशों की कोस्ट गार्ड्स ने भी बाशी चैनल में संयुक्त गश्त की। यह कदम दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी का जवाब है।
जापान से युद्धपोतों का सौदा
जापान ने फिलीपींस को छह अबुकुमा-क्लास युद्धपोत देने का फैसला किया है। ये जहाज 76 एमएम तोपों, एंटी-सबमरीन मिसाइलों और स्टील्थ डिजाइन से लैस हैं, जो चीन के रडार से बच सकते हैं। जापान इन जहाजों को अपग्रेड करेगा और फिलीपींस को प्रशिक्षण भी देगा। यह सौदा दक्षिण चीन सागर में चीन के खिलाफ एक रणनीतिक कदम है। इससे फिलीपींस की नौसेना को नई ताकत मिलेगी।
भारत के ब्रह्मोस का साथ
फिलीपींस ने भारत से ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलें खरीदी हैं, जो उसकी रक्षा क्षमता को और मजबूत करती हैं। यह कदम न केवल सैन्य शक्ति बढ़ाने का प्रयास है, बल्कि क्षेत्र में संतुलन बनाए रखने की कोशिश भी है। फिलीपींस की यह रणनीति दिखाती है कि वह अब न केवल मछुआरों का देश है, बल्कि एक ऐसा राष्ट्र है जो अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए तैयार है।
