शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय: नवरात्रि में मांसाहारी भोजन पर लगाया प्रतिबंध, छात्रों ने शुरू किया विरोध

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Delhi News: दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय में नवरात्रि के दौरान मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। विश्वविद्यालय के मेस में लगे एक नोटिस के अनुसार, 2 अक्टूबर तक केवल शाकाहारी भोजन ही परोसा जाएगा। इस निर्णय का छात्रों के एक वर्ग ने विरोध किया है। छात्रों का कहना है कि यह प्रतिबंध उनकी खानपान की आजादी के खिलाफ है।

नोटिस की सामग्री

विवादित नोटिस विश्वविद्यालय के पीसीएम ब्लॉक के मेस में लगाया गया है। इस बिना हस्ताक्षर वाले नोटिस में कहा गया है कि नवरात्रि की अवधि के दौरान केवल शाकाहारी भोजन उपलब्ध होगा। नोटिस में इस आदेश को वार्डन का निर्देश बताया गया है। छात्रों के अनुसार यह नोटिस मंगलवार को भी मेस के बाहर लगा हुआ था। इसके बाद से मेस में मांसाहारी भोजन परोसना बंद हो गया है।

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छात्रों की आपत्ति

छात्रों ने इस निर्णय को एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के लिए अनुचित बताया। उनका कहना है कि यहां विभिन्न देशों और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के छात्र पढ़ते हैं। कई छात्रों के लिए मांसाहारी भोजन उनकी आदत और संस्कृति का हिस्सा है। छात्रों ने आरोप लगाया कि यह निर्णय बिना उनसे सलाह लिए लिया गया है। पहले मेस के मेनू में बदलाव के लिए छात्रों की आम सभा की बैठक होती थी।

पिछला विवाद

छात्रों के अनुसार फरवरी में महाशिवरात्रि के दौरान भी ऐसा ही विवाद हुआ था। उस समय मांसाहारी भोजन को लेकर दो गुटों के बीच झड़प हो गई थी। उस घटना के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने मेस का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया था। तब प्रशासन ने शाकाहारी और मांसाहारी छात्रों के लिए अलग-अलग बैठने की व्यवस्था भी की थी। हालांकि यह व्यवस्था ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाई थी।

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प्रशासन की चुप्पी

विश्वविद्यालय के लड़कों के हॉस्टल के वार्डन बिशोय चंद्र चटर्जी ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने जनसंपर्क कार्यालय से संपर्क करने को कहा। विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी ओम प्रकाश यादव ने कॉल और मैसेज का जवाब नहीं दिया। प्रशासन की इस चुप्पी ने विवाद को और बढ़ा दिया है। छात्रों ने इस प्रतिबंध को भेदभावपूर्ण बताया है।

छात्रों की मांग

छात्र चाहते हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस प्रतिबंध को तुरंत हटाए। उनका कहना है कि एक लोकतांत्रिक संस्थान में ऐसे निर्णय छात्रों की सहमति के बिना नहीं लिए जाने चाहिए। छात्रों ने विश्वविद्यालय के समावेशी चरित्र पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रतिबंध विभिन्न देशों से आए छात्रों के लिए उचित नहीं हैं।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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