शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

दक्षिण अफ्रीका: अफ्रीकनर्स ने ट्रम्प के ‘व्हाइट जनोसाइड’ दावों को कहा झूठ, जानें क्या है पूरा मामला

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World News: दक्षिण अफ्रीका के प्रमुख अफ्रीकनर्स ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दावों का विरोध किया है। उन्होंने ‘नॉट इन आवर नेम’ शीर्षक से एक खुला पत्र लिखा है। इस पत्र में ट्रम्प के व्हाइट जनोसाइड के दावों को खारिज किया गया है। पत्र लेखकों का कहना है कि अफ्रीकनर्स किसी अस्तित्वगत खतरे में नहीं हैं।

यह पत्र अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध समिति को भेजा गया है। इसमें 40 हस्ताक्षरकर्ताओं से शुरू हुआ यह अभियान अब 1500 से अधिक लोगों तक पहुंच गया है। अफ्रीकनर्स ने ट्रम्प की गलत सूचनाओं को चुनौती देने की अपील की है।

अमेरिकी शरण नीति पर विवाद

ट्रम्प प्रशासन ने शरण नीति में अफ्रीकनर्स को प्राथमिकता दी है। 2026 के वित्तीय वर्ष के लिए शरणार्थी प्रवेश की सीमा 7500 निर्धारित की गई है। सार्वजनिक आंकड़े बताते हैं कि मई में 59 श्वेत दक्षिण अफ्रीकियों को अमेरिका में बसाया गया। सितंबर तक करीब 400 लोगों को शरण मिल चुकी थी।

ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर दक्षिण अफ्रीका में श्वेत पीड़ितों की कहानी को आगे बढ़ाया है। उन्होंने जी20 शिखर सम्मेलन में भाग न लेने की घोषणा की है। उनका कहना है कि अफ्रीकनर्स की हत्याएं हो रही हैं और उनकी जमीनें जब्त की जा रही हैं।

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पत्र का मुख्य विरोध

खुले पत्र में कहा गया है कि श्वेत अफ्रीकनर्स को शरण में प्राथमिकता ने उनकी पहचान को गलत तरीके से सामने लाया है। वे रंगभेद के बाद के दक्षिण अफ्रीका में शिकार के रूप में चित्रित किए जाने का विरोध करते हैं। अफ्रीकनर्स को बहुजातीयता के शिकार के रूप में पेश करना उन्हें अन्य दक्षिण अफ्रीकियों से अलग करता है।

पत्र में कहा गया है कि श्वेत पीड़ितों को दूसरों से ऊपर रखना नस्लीय दृष्टिकोण को मजबूत करता है। यह श्वेत पहचान को अस्तित्वगत खतरे में दिखाता है। हस्ताक्षरकर्ताओं का कहना है कि यह उनके मूल्यों और अनुभवों को प्रतिबिंबित नहीं करता।

समुदाय में बढ़ता विभाजन

इस खुले पत्र ने अफ्रीकनर समुदाय में मौजूदा विभाजन को और गहरा दिया है। वामपंथी मीडिया आउटलेट्स ने इस पत्र का स्वागत किया है। दक्षिणपंथी समूहों ने इसे खारिज कर दिया है। अफ्रीफोरम के अर्न्स्ट रोएट्स का कहना है कि हस्ताक्षरकर्ता वास्तविकता से दूर हैं।

रोएट्स के अनुसार यह विभाजन रूढ़िवादी समूहों और बुद्धिजीवियों के बीच लंबे तनाव को दर्शाता है। पत्र के लेखकों का तर्क है कि अफ्रीकनर्स को पीड़ित के रूप में चित्रित करना ग्रेट रिप्लेसमेंट सिद्धांत को बढ़ावा देता है। यह मेक अफ्रीकनर्स ग्रेट अगेन जैसे अभियानों से मेल खाता है।

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विभिन्न समूहों की भूमिका

अफ्रीफोरम और सॉलिडैरिटी ने हाल के वर्षों में अमेरिका में प्रतिनिधि भेजे हैं। उन्होंने भूमि अधिग्रहण नीतियों के खिलाफ और फार्म हमलों पर लॉबिंग की है। पत्र के हस्ताक्षरकर्ताओं का कहना है कि ये समूह सभी अफ्रीकान्स भाषियों का प्रतिनिधित्व नहीं करते।

पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि कोई भी संगठन सभी अफ्रीकनर्स की ओर से बोलने का दावा नहीं कर सकता। प्रगतिशील अफ्रीकनर्स अपने आप को समावेशी और विविध समुदाय का सदस्य मानते हैं। उनकी जड़ें 17वीं और 18वीं शताब्दी से जुड़ी हैं।

शरणार्थियों के अनुभव

एक शरणार्थी ने बताया कि वह अपनी शरणार्थी स्थिति को सबके सामने नहीं बताती। उनका कहना है कि कुछ उदारवादी लोग शरणार्थियों को पसंद नहीं करते। अगस्त के अंत में अमेरिका आई इस परिवार को दक्षिणी इलाके में बसाया गया है। वह दक्षिण अफ्रीका की तुलना में यहां खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं।

हालांकि उन पर व्यक्तिगत रूप से फार्म हमला नहीं हुआ था लेकिन उनके पति इसके शिकार हुए थे। परिवार का कहना है कि अमेरिका में उनकी आर्थिक स्थिति तेजी से सुधर रही है। हालांकि सफलता के लिए एंट्री लेवल के काम से शुरुआत करनी पड़ती है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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