New Delhi News: देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निजी दस्तावेजों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस के बीच राजनीतिक संग्राम तेज हो गया है। केंद्र सरकार ने सीधे तौर पर सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए दावा किया है कि नेहरू से जुड़े 51 कार्टन दस्तावेज उनके पास हैं। सरकार ने मांग की है कि इन ऐतिहासिक कागजातों को तुरंत प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (PMML) को वापस किया जाए। संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के अनुसार, ये दस्तावेज देश की धरोहर हैं और इन्हें जनता से दूर रखना गलत है।
गायब नहीं हैं दस्तावेज, लोकेशन का पता है: सरकार
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने स्पष्ट किया है कि ये दस्तावेज ‘गायब’ नहीं हुए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि सरकार को इनकी सटीक लोकेशन पता है। शेखावत के मुताबिक, साल 2008 में सोनिया गांधी के अनुरोध पर ये 51 कार्टन PMML से मंगवाए गए थे। इसका पूरा आधिकारिक रिकॉर्ड मंत्रालय के पास मौजूद है। हाल ही में लोकसभा में जब संबित पात्रा ने इस मुद्दे को उठाया, तो सरकार ने बताया कि रिकॉर्ड में कमी नहीं है, बल्कि ये दस्तावेज वर्तमान में सोनिया गांधी के पास सुरक्षित रखे गए हैं।
UPA शासन के दौरान वापस लिए गए थे कागजात
संस्कृति मंत्रालय ने आधिकारिक रिकॉर्ड का हवाला देते हुए बताया कि 29 अप्रैल 2008 को तत्कालीन यूपीए सरकार के समय ये दस्तावेज वापस मांगे गए थे। सोनिया गांधी के प्रतिनिधि एम.वी. राजन ने एक पत्र लिखकर नेहरू के निजी पत्र और नोट्स की मांग की थी। इसके बाद ही ऐतिहासिक महत्व के ये 51 कार्टन उन्हें सौंपे गए थे। अब मोदी सरकार का तर्क है कि ‘निजी’ और ‘राष्ट्रीय’ दस्तावेजों के बीच का अंतर समझना जरूरी है। सरकार का कहना है कि प्रधानमंत्री के रूप में लिखे गए पत्र सार्वजनिक संपत्ति होते हैं।
देश जानना चाहता है कि आखिर क्या छिपाया जा रहा है?
गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोनिया गांधी से सीधा सवाल किया है कि इन दस्तावेजों को जनता, शोधकर्ताओं और छात्रों से दूर क्यों रखा जा रहा है? उन्होंने ट्वीट कर पूछा, “देश जानना चाहता है कि इन बंद दरवाजों के पीछे क्या छिपाया जा रहा है?” शेखावत ने जोर देकर कहा कि नेहरू परिवार को इन कागजों को अपनी निजी संपत्ति नहीं समझना चाहिए। शोधकर्ताओं के लिए ये स्रोत बहुत महत्वपूर्ण हैं, ताकि देश के इतिहास पर सही ढंग से बहस और शोध हो सके।
NMML से PMML तक का सफर और विवाद
विवाद की जड़ में वह संस्थान भी है जहां ये दस्तावेज रखे जाने थे। मोदी सरकार ने 2023 में ‘नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी’ (NMML) का नाम बदलकर ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय’ (PMML) कर दिया था। कांग्रेस ने इस नाम परिवर्तन का कड़ा विरोध किया था। वर्तमान में इस संस्थान का संचालन एक सरकारी सोसायटी करती है, जिसके अध्यक्ष पीएम नरेंद्र मोदी हैं। सरकार ने बताया कि जनवरी और जुलाई 2025 में सोनिया गांधी के कार्यालय को कई रिमाइंडर भेजे गए हैं, लेकिन अभी तक दस्तावेजों की वापसी नहीं हुई है।
