New Delhi News: कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी की मुश्किलें फिर बढ़ सकती हैं। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में एक नई याचिका दायर हुई है। इसमें सोनिया गांधी के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करने की मांग खारिज करने वाले आदेश को चुनौती दी गई है। आरोप है कि सोनिया गांधी भारतीय नागरिक बनने से तीन साल पहले ही वोटर लिस्ट में शामिल हो गई थीं।
9 दिसंबर को होगी अहम सुनवाई
यह मामला शुक्रवार को स्पेशल जज विशाल गोगने की अदालत में पहुंचा। जज ने इसे विचार के लिए स्वीकार करते हुए 9 दिसंबर की तारीख तय की है। याचिकाकर्ता विकास त्रिपाठी ने यह क्रिमिनल रिवीजन याचिका दायर की है। उन्होंने एसीएमएम (ACMM) वैभव चौरसिया के 11 सितंबर के आदेश को गलत बताया है। विकास का दावा है कि सोनिया गांधी का नाम 1980 में ही नई दिल्ली क्षेत्र की मतदाता सूची में जोड़ दिया गया था।
क्या है पूरा मामला?
याचिकाकर्ता ने सोनिया गांधी पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- सोनिया गांधी अप्रैल 1983 में भारत की नागरिक बनीं।
- उनका नाम 1980 की वोटर लिस्ट में शामिल था।
- 1982 में नाम हटा, लेकिन 1983 में फिर जुड़ गया।
वकील का तर्क है कि 1980 में वोटर लिस्ट में नाम आना जाली दस्तावेजों की ओर इशारा करता है। यह एक संज्ञेय अपराध है। इसलिए कोर्ट को इस पर संज्ञान लेना चाहिए।
पहले खारिज हो चुकी है याचिका
इससे पहले सितंबर में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इसी मामले को खारिज कर दिया था। उस समय एसीएमएम वैभव चौरसिया ने कहा था कि कोर्ट ऐसी जांच का आदेश नहीं दे सकता। यह संवैधानिक अधिकारियों के काम में दखलंदाजी होगी। कोर्ट ने इसे संविधान के अनुच्छेद 329 का उल्लंघन माना था। अब सोनिया गांधी से जुड़े इस मामले पर सबकी निगाहें 9 दिसंबर की सुनवाई पर टिकी हैं।
