Leh News: केंद्र सरकार ने शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के नाम से चलने वाले एनजीओ SECMOL (स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख) का फॉरेन कंट्रिब्यूशन (रेगुलेशन) एक्ट यानी एफसीआरए रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। गृह मंत्रालय की ओर से की गई इस कार्रवाई का कारण एनजीओ द्वारा विदेशी फंड के इस्तेमाल और खुलासे को लेकर नियमों का उल्लंघन बताया गया है। यह फैसला लेह में हुई हिंसा के बाद आया है।
गृह मंत्रालय ने एक जांच के बाद यह कदम उठाया। जांच में एनजीओ की वित्तीय गतिविधियों में कई गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। मंत्रालय का आरोप है कि SECMOL ने विदेशी चंदे को लेकर सही और पारदर्शी जानकारी नहीं दी। संस्था ने एफसीआरए कानून के कई प्रावधानों का पालन नहीं किया।
जांच में सामने आया कि SECMOL ने एक पुरानी बस बेचकर प्राप्त 3.35 लाख रुपये को विदेशी दान के रूप में दिखाया। बाद में संस्था ने इसकी पुष्टि नहीं की। यह रकम एफसीआरए खाते में भी दर्ज नहीं थी। एक और मामले में स्थानीय फंड से प्राप्त 54,600 रुपये गलती से एफसीआरए खाते में जमा कर दिए गए।
संस्था ने माना कि यह पैसा भारतीय स्वयंसेवकों से लिया गया था। मंत्रालय ने इसे वित्तीय अनियमितता माना। एक विदेशी संस्था से प्राप्त 4.93 लाख रुपये कोविड-19 लॉकडाउन के कारण कार्यक्रम न होने पर वापस कर दिया गया। मंत्रालय ने कहा कि एफसीआरए कानून में फंड वापसी का कोई प्रावधान नहीं है।
एक और अनियमितता सामने आई जब संस्था ने स्टाइपेंड और वेतन से प्रत्यक्ष 79,200 रुपये काटकर उन्हें ‘भोजन शुल्क’ के रूप में दिखाया। गृह मंत्रालय ने इस तरीके को गलत और गैर-पारदर्शी बताया। इन सभी उल्लंघनों को गंभीर मानते हुए मंत्रालय ने एफसीआरए रजिस्ट्रेशन रद्द करने का फैसला किया।
गृह मंत्रालय के अनुसार, SECMOL ने एफसीआरए अधिनियम की धारा 8(1)(a), 17, 18 और 19 का बार-बार उल्लंघन किया। इन धाराओं में विदेशी अंशदान प्राप्त करने, उसके उपयोग और हिसाब-किताब रखने के नियम शामिल हैं। रजिस्ट्रेशन रद्द होने के बाद अब SECMOL को विदेश से कोई भी आर्थिक सहायता प्राप्त नहीं हो सकेगी।
अब संस्था को अपने कार्यों के लिए केवल भारतीय स्रोतों या स्थानीय फंडिंग पर निर्भर रहना होगा। यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर तनाव है। इसी मांग को लेकर सोनम वांगचुक 10 सितंबर से भूख हड़ताल पर थे।
उनके समर्थन में छात्रों के एक प्रदर्शन के दौरान लेह में हिंसक झड़पें हुईं। इन झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई और 70 से अधिक लोग घायल हुए। हिंसा के बाद सोनम वांगचुक ने अपना अनशन समाप्त कर दिया था। अब उनकी संस्था के एफसीआरए रजिस्ट्रेशन की रद्दगी ने एक नया मोड़ पैदा कर दिया है।
एफसीआरए का उद्देश्य भारत में काम कर रहे संगठनों द्वारा विदेशी फंड के उपयोग पर नजर रखना है। इसका लाइसेंस रद्द होना किसी भी एनजीओ के लिए एक गंभीर घटना मानी जाती है। इससे संस्था के वित्तीय संसाधनों पर सीधा असर पड़ता है।
सोनम वांगचुक और उनकी संस्था SECMOL लद्दाख में शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जाने जाते हैं। उनके प्रोजेक्ट्स की चर्चा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी होती है। ऐसे में यह फैसला काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। अब देखना यह है कि यह संस्था भविष्य में अपने काम को कैसे आगे बढ़ाएगी।
