Jodhpur News: जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने लेह हिंसा में मारे गए चार लोगों की मौत की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब तक जांच नहीं होती, वह जेल में रहने को तैयार हैं। शनिवार को उनके भाई और वकील ने विशेष अनुमति लेकर जेल में उनसे मुलाकात की थी।
वकील मुस्तफा हाजी ने बताया कि सोनम शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ हैं। उन्होंने हिंसा में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है। सोनम ने सभी लोगों से शांति और एकता बनाए रखने का आह्वान किया है। यह आह्वान छठी अनुसूची और राज्य के दर्जे की मांग को लेकर किया गया।
सोनम वांगचुख को 24 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। उन्हें दो दिन बाद जोधपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया। इस गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी पत्नी गीतांजलि जे अंगमो ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। इस याचिका पर छह अक्टूबर को सुनवाई होनी है।
परिवार की जेल में मुलाकात
सोनम के बड़े भाई त्सेतन दोरजे और वकील मुस्तफा हाजी ने शनिवार को जेल में उनसे मुलाकात की। यह मुलाकात विशेष अनुमति के तहत संभव हो सकी। मुलाकात के बाद वकील हाजी ने सोनम के संदेश को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया। इस संदेश में सोनम की मुख्य मांग सामने आई।
सोनम ने अपने संदेश में लेह हिंसा की स्वतंत्र जांच पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि न्याय मिलने तक वह जेल में रह सकते हैं। उनकी इस मांग ने लद्दाख हिंसा की घटना को फिर से चर्चा में ला दिया है। सोनम ने हिंसा में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई।
सर्वोच्च न्यायालय में याचिका
सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे अंगमो ने उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी है। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर रिहाई की मांग की है। याचिका में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तारी को गलत बताया गया है। न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई छह अक्टूबर के लिए तय की है।
गीतांजलि का कहना है कि सोनम की गिरफ्तारी पूरी तरह से गलत है। उन्होंने हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखी है। सोनम लद्दाख के लिए संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे थे। उनकी गिरफ्तारी से लद्दाख में असंतोष और बढ़ गया है।
सोनम वांगचुक को लद्दाख के विकास और पर्यावरण के लिए किए गए कार्यों के लिए जाना जाता है। उन्होंने स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख की स्थापना की। वह लद्दाख में शैक्षिक सुधारों के प्रमुख चेहरे रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा पैदा की है।
लद्दाख में राजनीतिक मांगें
सोनम वांगचुख लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे थे। इसके साथ ही वह लद्दाख को अलग राज्य का दर्जा दिलाने की मांग भी उठा रहे थे। उनके समर्थकों का कहना है कि यह मांगें संवैधानिक हैं। इन मांगों को लेकर लद्दाख में कई बार विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं।
लेह में हुई हिंसा के बाद स्थिति और तनावपूर्ण हो गई है। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी। स्थानीय लोग इस घटना की स्वतंत्र जांच की मांग कर रहे हैं। सोनम वांगचुख ने जेल से ही इस मांग को और मजबूती से उठाया है। उनकी इस मांग को लद्दाख के लोगों का व्यापक समर्थन मिल रहा है।
लद्दाख के लोगों का कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से उनकी उपेक्षा हुई है। वे अपने भूगोल, संस्कृति और पर्यावरण के लिए संवैधानिक सुरक्षा चाहते हैं। सोनम वांगचुख इन मांगों को उठाने वाले प्रमुख व्यक्ति बनकर उभरे हैं। उनकी गिरफ्तारी ने इस आंदोलन को नई दिशा दी है।
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के प्रावधान
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत किसी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए एक साल तक हिरासत में रखा जा सकता है। इस अधिनियम का उपयोग अक्सर विवादास्पद स्थितियों में किया जाता है। सोनम वांगचुख के मामले में इस अधिनियम का उपयोग चर्चा का विषय बना हुआ है।
वकील मुस्तफा हाजी का कहना है कि सोनम के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं। उन्होंने हमेशा शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखी है। सोनम की गिरफ्तारी से लद्दाख के लोगों में रोष है। वे मानते हैं कि यह गिरफ्तारी उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाने का परिणाम है।
