Leh News: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने लद्दाख के प्रसिद्ध शिक्षाविद सोनम वांगचुक के संस्थान हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ आल्टरनेटिव्स के खिलाफ जांच शुरू की है। यह जांच विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम के उल्लंघन के आरोपों पर की जा रही है। सीबीआई की टीम ने संस्थान से वित्तीय दस्तावेजों की मांग की है। वांगचुक ने इन आरोपों को खारिज किया है।
सोनम वांगचुक ने खुद इस जांच की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि करीब दस दिन पहले सीबीआई की एक टीम उनके संस्थान पहुंची थी। जांच टीम ने गृह मंत्रालय की एक शिकायत पर कार्रवाई की। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि एचआईएएल ने बिना एफसीआरए अनुमति के विदेशी फंड प्राप्त किए। अभी तक इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।
वांगचुक ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि उनका संस्थान विदेशी फंड पर निर्भर नहीं है। उन्होंने दावा किया कि संस्थान अपने ज्ञान के निर्यात से राजस्व जुटाता है। जिन तीन मामलों को विदेशी योगदान बताया जा रहा है, वे वास्तव में सेवा समझौते थे। इन समझौतों पर सरकार को टैक्स भी अदा किया गया था।
जांच की गहराई
सीबीआई ने एचआईएएल और एसईसीएमओएल से वित्तीय रिकॉर्ड मांगे हैं। ये रिकॉर्ड वर्ष 2022 से 2024 तक की फंडिंग से जुड़े हैं। हालांकि, वांगचुक का आरोप है कि जांच अधिकारी 2020 और 2021 के खातों की भी मांग कर रहे हैं। साथ ही संस्थान से जुड़े स्कूलों के कागजात भी मंगवाए जा रहे हैं।
वांगचुक ने कहा कि यह जांच एक बड़ी रणनीति का हिस्सा लगती है। उन्होंने बताया कि पहले उन पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया। फिर संस्थान को आवंटित जमीन वापस लेने का आदेश दिया गया। अब सीबीआई और आयकर विभाग की जांच चल रही है। उन्होंने लद्दाख में टैक्स न होने के बावजूद स्वेच्छा से टैक्स चुकाने की बात कही।
लद्दाख में हाल की हिंसा
यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब लद्दाख में हिंसक झड़पें हुई हैं। हाल ही में क्षेत्र में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। इन घटनाओं में चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। कई पुलिसकर्मी और अन्य लोग घायल हुए। हिंसा पर काबू पाने के लिए सुरक्षा बलों को आंसू गैस के गोले दागने पड़े।
गृह मंत्रालय ने एक बयान में सोनम वांगचुक पर आरोप लगाया। मंत्रालय के अनुसार, वांगचुक के भड़काऊ बयानों ने भीड़ को उकसाया। हिंसा के बीच वांगचुक ने अपना उपवास तोड़ दिया। वह बिना स्थिति शांत करने का प्रयास किए एम्बुलेंस से अपने गांव चले गए।
वांगचुक लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर उपवास पर बैठे थे। उनकी मांग है कि लद्दाख को राज्य का दर्जा दिया जाए। यह आंदोलन लद्दाख के लोगों के अधिकारों और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा है। यह मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है।
