Himachal News: सोलन जिले के नालागढ़ क्षेत्र के एक स्कूल में विज्ञान अध्यापिका पर नशा करके कक्षा लेने आने के गंभीर आरोप लगे हैं। स्कूल प्रबंधन समिति ने इन आरोपों की पुष्टि की है। अध्यापिका का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें उनकी कार से शराब की बोतल मिलती दिख रही है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि अध्यापिका लगातार तीन दिनों से स्कूल आ रही हैं। वह प्रार्थना के बाद कमरा बंद करके सो जाती हैं। बच्चे इस व्यवहार से परेशान हैं और घर जाकर शिकायत कर रहे हैं। इससे विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
ग्रामीणों ने उठाए सवाल
स्थानीय ग्रामीण फौजी रविंद्र सिंह और गुरपाल ने बताया कि अध्यापिका पर पहले भी ऐसे आरोप लग चुके हैं। उस समय उनका मेडिकल टेस्ट करवाया गया था लेकिन रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आई है। ग्रामीणों ने बताया कि अध्यापिका को स्कूल प्रबंधन समिति ने कई बार जगाने का प्रयास किया।
बच्चों के माता-पिता चिंतित हैं कि उनके बच्चों पर इसका गलत प्रभाव पड़ सकता है। उनका कहना है कि शिक्षकों को आदर्श व्यवहार करना चाहिए। स्कूल का माहौल बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए अनुकूल होना चाहिए। इस तरह की घटनाएं शैक्षिक वातावरण को खराब करती हैं।
अध्यापिका का पक्ष
अध्यापिका ने इन आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने बताया कि वह लंबे समय से बीमार चल रही हैं। पीजीआई चंडीगढ़ में उनका नियमित इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उन्हें आराम की आवश्यकता होती है। उन्होंने नशे के सभी आरोपों को गलत बताया।
अध्यापिका के अनुसार वह पूरी ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन कर रही हैं। उन्होंने कहा कि वह किसी भी प्रकार की गलत आदतों में संलिप्त नहीं हैं। उन्होंने मीडिया से अपने बचाव में बयान दिया और कहा कि वह कानूनी कार्रवाई कर सकती हैं।
स्कूल प्रबंधन की प्रतिक्रिया
स्कूल प्रबंधन समिति ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। समिति के सदस्यों ने बताया कि वह शिक्षा विभाग को इसकी सूचना देंगे। उन्होंने कहा कि बच्चों के भविष्य से समझौता नहीं किया जा सकता। शिक्षकों का व्यवहार अनुकरणीय होना चाहिए।
प्रबंधन ने कहा कि यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा विभाग से जल्द से जल्द हस्तक्षेप करने की मांग की गई है। स्कूल में अनुशासन बनाए रखना प्रबंधन की प्राथमिकता है। इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए।
शिक्षा विभाग की भूमिका
स्थानीय शिक्षा अधिकारियों ने इस मामले में संज्ञान लिया है। उन्होंने बताया कि वह आवश्यक कार्रवाई करेंगे। शिक्षा विभाग के प्रोटोकॉल के अनुसार ऐसे मामलों में तत्काल जांच की जाती है। अध्यापिका का मेडिकल टेस्ट करवाया जा सकता है।
विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि यदि आरोप सिद्ध होते हैं तो अध्यापिका के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। शिक्षकों के लिए अलग से परामर्श और उपचार की व्यवस्था भी है। विभाग का मुख्य उद्देश्य शैक्षिक माहौल को सुरक्षित रखना है।
