Shimla News: हिमाचल प्रदेश में हिम तेंदुए की आबादी में उत्साहजनक वृद्धि दर्ज की गई है। राज्य वन विभाग के ताजा अध्ययन के अनुसार अब प्रदेश में 83 हिम तेंदुए मौजूद हैं। यह संख्या वर्ष 2021 के पहले सर्वेक्षण के मुकाबले काफी अधिक है। तब केवल 51 हिम तेंदुए दर्ज किए गए थे। यह अध्ययन वन विभाग ने नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन बेंगलुरू के साथ मिलकर किया।
प्रधान मुख्य अरण्यपाल अमिताभ गौतम ने 74वें वन्य प्राणी सप्ताह के अवसर पर स्टेटस ऑफ स्नो लेपर्ड इन हिमाचल प्रदेश-2025 पुस्तिका का विमोचन किया। इस अध्ययन में हिम तेंदुए के साथ साथ दो नई वन्य प्रजातियों का भी पता चला है। लाहुल स्पीति में उड़ने वाली गिलहरी और किन्नौर में पल्लास बिल्ली पहली बार देखी गई।
सर्वेक्षण की मुख्य विशेषताएं
यह सर्वेक्षण पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एसपीएआई प्रोटोकॉल के तहत किया गया। टीम ने राज्य के 26,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में छह स्थानों पर कैमरा ट्रैपिंग की। इस दौरान 44 अलग अलग हिम तेंदुओं की पहचान हुई। इन्हें 262 बार कैमरों में दर्ज किया गया।
हिम तेंदुए का घनत्व 0.16 से 0.53 प्रति 100 वर्ग किलोमीटर आंका गया। लाहुल स्पीति के स्पीति और पिन घाटी क्षेत्र में सर्वाधिक घनत्व पाया गया। किन्नौर जिला के ऊपरी किन्नौर और ताबो क्षेत्र में भी अच्छी संख्या देखी गई। हिम तेंदुए 26 हजार 112 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए हैं।
पहले सर्वेक्षण से तुलना
पहला सर्वेक्षण करने में तीन साल का समय लगा था। इस बार यह कार्य मात्र एक वर्ष में पूरा हो गया। इससे हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है। राज्य ने दूसरे दौर का हिम तेंदुए का राज्यव्यापी आंकलन पूरा किया है। आबादी में वृद्धि केवल संख्या बढ़ने का संकेत नहीं है।
वन विभाग के अनुसार हिम तेंदुए इस बार अपेक्षाकृत कम दूरी तक विचरण करते दिखे। यह बेहतर आवास और शिकार प्रजातियों की बढ़ी उपलब्धता के कारण हो सकता है। अध्ययन में हिम तेंदुए के शिकार प्रजातियों का भी मूल्यांकन किया गया। नीली भेड़, हिमालयी आइबेक्स और कस्तूरी हिरण की प्रवास क्षेत्र का अध्ययन किया गया।
स्थानीय समुदाय की भूमिका
अधिकांश रिकॉर्डिंग संरक्षित क्षेत्रों के बाहर हुई है। यह तथ्य बताता है कि हिम तेंदुए के संरक्षण में स्थानीय समुदायों की भूमिका बेहद अहम है। स्पीति के किब्बर गांव के आठ स्थानीय युवाओं ने सर्वेक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्पीति वन्य प्रभाग के 20 फील्ड अधिकारी और 15 स्थानीय समुदाय के सदस्य शामिल रहे।
यह पहला ऐसा वैश्विक सर्वेक्षण रहा जिसमें किब्बर की स्थानीय महिलाओं की टीम ने अध्ययन के विश्लेषण में सहयोग किया। हिमाचल प्रदेश का यह सर्वेक्षण तेज़ और किफायती साबित हुआ है। यह अन्य राज्यों के लिए भी हिम तेंदुए की आबादी पर नज़र रखने के लिए एक सफल मॉडल बन सकता है।
हिम तेंदुए का प्राकृतिक आवास
किब्बर वन्य जीव अभयारण्य, ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क, सेचू तुआन नाला और आसारंग वन्यजीव अभयारण्य में हिम तेंदुए देखे गए हैं। अध्ययन में हिमालयी भेड़िया, भूरा भालू, तेंदुआ, लाल लोमड़ी, स्टोन मार्टन जैसी प्रजातियों के प्रवास क्षेत्र का भी आकलन किया गया। माउंटेन वीजल और येलो-थ्रोटेड मार्टन भी दर्ज की गई।
हिम तेंदुए की बढ़ती आबादी संरक्षण efforts की सफलता को दर्शाती है। राज्य सरकार और वन विभाग की कोशिशों ने सकारात्मक परिणाम दिए हैं। स्थानीय लोगों का सहयोग भी इस सफलता में महत्वपूर्ण रहा है। भविष्य में और बेहतर परिणाम की उम्मीद की जा सकती है।
