Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपने अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों के लिए कौशल विकास को अनिवार्य कर दिया है। आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों को अब ‘कर्मयोगी’ प्लेटफॉर्म पर वार्षिक शिक्षण पाठ्यक्रम पूरा करना होगा। यह कदम अधिकारियों को आधुनिक शासन की चुनौतियों के लिए तैयार करने और उनकी कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए उठाया गया है।
वार्षिक मूल्यांकन में शामिल होगा कोर्स
हिमाचल कार्मिक विभाग ने बुधवार को आदेश जारी कर सभी अधिकारियों को इस नई व्यवस्था की जानकारी दी। ‘कर्मयोगी’ पाठ्यक्रम को वार्षिक निष्पादन मूल्यांकन रिपोर्ट (एपीएआर) का हिस्सा बनाया गया है। अगर कोई अधिकारी यह कोर्स पूरा नहीं करता, तो उसकी एपीएआर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। यह व्यवस्था 2025-26 की रिपोर्टिंग अवधि से लागू होगी। अधिकारियों का मानना है कि यह कदम उन्हें तकनीकी और सामाजिक बदलावों के लिए बेहतर तैयार करेगा।
कर्मयोगी प्लेटफॉर्म का उद्देश्य
‘कर्मयोगी’ केंद्र सरकार की डिजिटल लर्निंग पहल है, जो सिविल सेवकों को 21वीं सदी के प्रशासनिक कौशल से लैस करने के लिए शुरू की गई है। इस प्लेटफॉर्म पर नीति निर्माण, डिजिटल गवर्नेंस, नेतृत्व, और पर्यावरण जैसे विषयों पर मॉड्यूल उपलब्ध हैं। अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम भी शामिल किए गए हैं। यह कोर्स अधिकारियों को वैश्विक मानकों के अनुरूप तैयार करने में मदद करेगा।
प्रशासन में पेशेवरता की उम्मीद
इस नई व्यवस्था से अधिकारियों की कार्यकुशलता और नेतृत्व क्षमता में सुधार की उम्मीद है। कार्मिक विभाग का कहना है कि यह कोर्स अधिकारियों को नैतिक मूल्यों और बदलती जरूरतों के अनुरूप ढालने में कारगर होगा। सरकार का लक्ष्य है कि इससे प्रशासन अधिक जवाबदेह और प्रभावी बने। यह कदम न केवल अधिकारियों के कौशल को निखारेगा, बल्कि जनता को बेहतर सेवाएं देने में भी मदद करेगा।
