Business News: पिछले दो सप्ताह में चांदी की कीमतों में आई भारी गिरावट ने निवेशकों के लिए नए अवसर का द्वार खोल दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि यह गिरावट खरीदारी का एक सुनहरा मौका साबित हो सकती है। हालिया कमजोरी के बावजूद अगले साल तक चांदी से पचास प्रतिशत तक का शानदार रिटर्न मिलने की संभावना जताई जा रही है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च एनालिस्ट मानव मोदी के अनुसार आने वाले कुछ महीनों में चांदी की कीमतों में स्थिरता बनी रह सकती है। उनका अनुमान है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत पचास से पचपन डॉलर प्रति औंस के बीच झूल सकती है। लंबी अवधि में सफेद धातु के पचहत्तर डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
कितनी गिरी है चांदी
अक्टूबर माह में चांदी ने अपना ऐतिहासिक शिखर छुआ था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत चौवन डॉलर पैंतालीस सेंट प्रति औंस तक पहुंच गई थी। मगर अब यह गिरकर अड़तालीस डॉलर उनसठ सेंट के स्तर पर आ गई है। इस तरह वैश्विक स्तर पर लगभग ग्यारह प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
घरेलू बाजार में स्थिति और भी नाटकीय रही। यहां चांदी एक लाख बयासी हजार पांच सौ रुपये प्रति किलोग्राम के शीर्ष स्तर से फिसलकर एक लाख उनचास हजार पांच सौ रुपये पर आ गई। इस प्रकार घरेलू बाजार में अठारह प्रतिशत की महत्वपूर्ण गिरावट देखने को मिली है।
गिरावट के कारण
वैश्विक बाजार में जोखिम लेने की रुचि बढ़ने से सुरक्षित निवेश मानी जाने वाली धातुओं में दिलचस्पी कम हुई है। वैश्विक व्यापार वार्ताओं में प्रगति के संकेतों ने भी निवेशकों का रुझान शेयर बाजार की ओर मोड़ दिया है। इस महीने की शुरुआत में आई भारी तेजी के बाद व्यापारियों द्वारा मुनाफा वसूली ने भी गिरावट को हवा दी है।
पिछले एक वर्ष का प्रदर्शन देखें तो चांदी ने निवेशकों को मोटा रिटर्न दिया है। डॉलर के मुकाबले चौवालीस प्रतिशत और रुपये के मुकाबले छप्पन प्रतिशत से अधिक का लाभ इस धातु में निवेश करने वालों को मिला है। यह आंकड़े दीर्घकालिक संभावनाओं को रेखांकित करते हैं।
कीमतों में और गिरावट आ सकती है?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या चांदी में और गिरावट आएगी। इसके जवाब में विशेषज्ञों का मानना है कि आपूर्ति में कमी और औद्योगिक मांग लगातार बनी रहने के कारण कीमतों में और महत्वपूर्ण गिरावट की संभावना कम है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतों के पचास से पचपन डॉलर के बीच स्थिर रहने का अनुमान जताया जा रहा है।
डीएसपी म्यूचुअल फंड के पैसिव इंवेस्टमेंट एंड प्रोडक्ट हेड अनिल घेलानी ने आपूर्ति पक्ष की चुनौतियों की ओर ध्यान दिलाया है। उनके मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में चांदी की आपूर्ति लगातार सिकुड़ रही है। वर्ष 2025 में आपूर्ति में ग्यारह करोड़ अस्सी लाख औंस की कमी रहने का अनुमान है जो कीमतों के लिए एक मजबूत समर्थन का काम करेगा।
औद्योगिक मांग का असर
हरित ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में तेजी से विस्तार हो रहा है। इन दोनों क्षेत्रों में चांदी का भारी मात्रा में उपयोग होता है। सौर ऊर्जा पैनलों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में चांदी एक अनिवार्य धातु बन गई है। इसलिए औद्योगिक मांग में निरंतर वृद्धि कीमतों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
खनन उत्पादन में स्थिरता और पुनर्चक्रण की सीमित दरों ने आपूर्ति पक्ष को और भी कठिन बना दिया है। ये कारक मध्यम अवधि में चांदी की कीमतों के लिए तेजी का रुख अपनाने की पृष्ठभूमि तैयार कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ये मूलभूत कारक दीर्घकालिक तेजी को बनाए रखने में सक्षम हैं।
निवेशकों के लिए सलाह
फंड मैनेजर निवेशकों को सलाह दे रहे हैं कि वे इस गिरावट का फायदा उठाएं। मगर उन्हें अपने कुल निवेश पोर्टफोलियो के सात प्रतिशत से अधिक चांदी में निवेश नहीं करना चाहिए। संतुलित पोर्टफोलियो बनाए रखना हमेशा एक अच्छी निवेश रणनीति मानी जाती है।
मनी मंत्रा के संस्थापक विरल भट्ट ने निवेशकों को आगाह किया है कि वे बड़ी एकमुश्त खरीदारी से बचें। चांदी ऐतिहासिक रूप से एक अस्थिर संपत्ति रही है और इसमें अल्पकालिक गिरावट का जोखिम हमेशा बना रहता है। निवेश की योजना बनाते समय इस पहलू को ध्यान में रखना आवश्यक है।
