India News: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरिक्ष से धरती पर सुरक्षित वापसी की है। उनका ड्रैगन यान कैलिफोर्निया के समुद्र में सफलतापूर्वक उतरा। इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर पूरे भारत में खुशी की लहर है। शुभांशु के माता-पिता अपने बेटे की सफलता पर भावुक नजर आए। नासा के साथ संचार स्थापित होने के बाद यान ने सटीक लैंडिंग की। यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए गर्व का क्षण है।
ड्रैगन यान की सुरक्षित लैंडिंग
शुभांशु शुक्ला को ले जा रहा ड्रैगन यान कैलिफोर्निया के तट पर प्रशांत महासागर में उतरा। यान ने दो चरणों में पैराशूट खोले, पहले 5.7 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थिरीकरण पैराशूट और फिर दो किलोमीटर पर मुख्य पैराशूट। यह प्रक्रिया पूरी तरह नियोजित थी। लैंडिंग से पहले यान धरती से 800 मीटर की दूरी पर था। स्पेसएक्स ने बताया कि लैंडिंग से पहले एक संक्षिप्त सोनिक बूम सुना गया।
नासा के साथ संचार स्थापित
एक्सिओम-4 मिशन के दौरान ड्रैगन यान का नासा के नियंत्रण केंद्र के साथ संचार स्थापित हुआ। यह मिशन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण कदम था। यान ने 14 जुलाई को दोपहर 4:30 बजे आईएसएस से अनडॉक किया और 22.5 घंटे की यात्रा के बाद धरती की ओर बढ़ा। शुभांशु शुक्ला और उनके क्रू ने इस दौरान सभी प्रणालियों की जांच की। नासा ने पुष्टि की कि सभी प्रक्रियाएं सामान्य रहीं।
परिवार में खुशी का माहौल
शुभांशु शुक्ला की वापसी पर उनके माता-पिता बेहद खुश और भावुक दिखे। उनकी मां आशा शुक्ला ने कहा कि वे अपने बेटे की उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रही हैं। पिता शंभु दयाल शुक्ला ने इसे ऐतिहासिक क्षण बताया। लखनऊ में परिवार ने मंदिर में प्रार्थना की और हनुमान जी का दर्शन किया। उन्होंने कहा कि शुभांशु ने पूरे देश का नाम रोशन किया है।
मिशन की प्रक्रिया सामान्य
एक्सिओम स्पेस ने बताया कि शुभांशु शुक्ला और उनके क्रू की वापसी की पूरी प्रक्रिया सुचारू रही। ड्रैगन यान ने 18 मिनट तक डी-ऑर्बिट बर्न किया, जिससे इसकी गति कम हुई। यान ने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया और 1600 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान का सामना किया। सभी तकनीकी प्रणालियां सामान्य रहीं। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान में मील का पत्थर साबित हुआ।
देश में उत्साह की लहर
शुभांशु शुक्ला की सफल वापसी ने पूरे भारत में उत्साह का माहौल बना दिया। 18 दिन तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रहकर उन्होंने 60 से अधिक प्रयोग किए। उनकी वापसी को देशवासियों ने गर्व के साथ देखा। सोशल मीडिया पर लोगों ने उनकी उपलब्धि की सराहना की। यह मिशन भारत के गगनयान कार्यक्रम के लिए भी महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान करेगा।
