Himachal News: हिमाचल प्रदेश में श्रीखंड महादेव यात्रा के दौरान हर साल श्रद्धालु अपनी जान गंवा रहे हैं। यह भारत की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक है। स्वास्थ्य जांच के बावजूद ऑक्सीजन की कमी और खतरनाक रास्तों के कारण मौतें हो रही हैं। 16 सालों में 46 श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई है। 2025 में भी एक श्रद्धालु की मौत हुई। लोग सरकार से बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था की मांग कर रहे हैं। हिमाचल न्यूज़ पर यह चर्चा जोरों पर है।
ऑक्सीजन की कमी बनी खतरा
श्रीखंड महादेव यात्रा के दौरान सबसे ज्यादा मौतें पार्वती बाग से ऊपर होती हैं। इस क्षेत्र में ऑक्सीजन की कमी और खतरनाक रास्ते बड़ा जोखिम पैदा करते हैं। कालीघाट के आसपास भी कई हादसे हुए हैं। बाहरी राज्यों के श्रद्धालुओं की मृत्यु दर अधिक है। 2025 में 10 से 18 जुलाई तक 5639 श्रद्धालुओं ने यात्रा की, जिसमें 234 महिलाएं थीं। एक श्रद्धालु की ऑक्सीजन की कमी से मृत्यु हुई।
कठिन रास्तों की चुनौती
श्रीखंड महादेव की 32 किलोमीटर की पैदल यात्रा बेहद जोखिम भरी है। खड़ी चढ़ाई, बर्फीले रास्ते और चट्टानी ढलान इसे खतरनाक बनाते हैं। प्रशासन ने रास्तों को सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं। 2010 से 2024 तक 45 श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई। लोग मांग कर रहे हैं कि ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाई जाएं। प्रशासन के सामने यह बड़ी चुनौती है।
सख्त स्वास्थ्य जांच फिर भी हादसे
श्रीखंड महादेव यात्रा के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से फिट श्रद्धालुओं को ही अनुमति दी जाती है। मेडिकल कैंप में शुगर, बीपी और सांस की बीमारियों की जांच होती है। अयोग्य लोगों को रोका जाता है। फिर भी, ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी और कठिन रास्ते मौत का कारण बन रहे हैं। एसडीएम निरमंड मनमोहन सिंह ने बताया कि 2025 में एक श्रद्धालु की मृत्यु हुई। जांच के बाद ही यात्रा की अनुमति दी जाती है।
