शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

श्री कृष्ण मंदिर: हिमाचल में है दुनिया का सबसे ऊँचा मंदिर, जानें क्या है किन्नौरी टोपी से जुड़ी परंपरा

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Himachal News: हिमाचल के किन्नौर जिले में यूला कांडा की झील के बीच बने श्री कृष्ण मंदिर को दुनिया का सबसे ऊँचा कृष्ण मंदिर माना जाता है। समुद्र तल से 12000 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है। जन्माष्टमी पर यहाँ किन्नौरी टोपी की परंपरा आकर्षण का केंद्र है।

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

यूला कांडा का श्री कृष्ण मंदिर पांडवों द्वारा अज्ञातवास में बनाया गया माना जाता है। बुशहर रियासत के राजा केहरी सिंह ने जन्माष्टमी उत्सव शुरू किया था। यह उत्सव अब जिला स्तर का मेला है। दूर-दूर से भक्त और पर्यटक यहाँ पहुँचते हैं। मंदिर तक 14 किमी की पैदल यात्रा करनी पड़ती है।

जन्माष्टमी की अनोखी परंपरा

जन्माष्टमी पर भक्त झील में किन्नौरी टोपी उल्टी फेंकते हैं। यदि टोपी तैरकर दूसरी ओर पहुँच जाए, तो मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। टोपी के डूबने का मतलब अशुभ माना जाता है। शिमला और अन्य जिलों से लोग यहाँ अपनी किस्मत आजमाने आते हैं। झील की परिक्रमा से पाप धुलने की मान्यता है।

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मंदिर तक पहुँचने का रास्ता

मंदिर तक पहुँचने के लिए शिमला निकटतम रेलवे स्टेशन है। दिल्ली से कालका, फिर टॉय ट्रेन से शिमला पहुँचें। शिमला से रिकांगपिओ बस से 6-7 घंटे का सफर है। दिल्ली से रिकांगपिओ के लिए सीधी बस उपलब्ध है। किराया 900 से 1400 रुपये है। रिकांगपिओ से यूला गाँव शेयरिंग टैक्सी से जाएँ।

हवाई और सड़क मार्ग

शिमला हवाई अड्डा निकटतम है, लेकिन उड़ानें सीमित हैं। रिकांगपिओ से यूला गाँव तक 36 किमी की शेयरिंग टैक्सी का किराया 200-250 रुपये है। दिल्ली से रिकांगपिओ का बस सफर 18-20 घंटे लेता है। ट्रेक की शुरुआत यूला गाँव से होती है। रास्ता कठिन है, लेकिन भक्तों की आस्था इसे आसान बनाती है।

ठहरने की व्यवस्था

रिकांगपिओ और लिपा गाँव में ठहरने के विकल्प हैं। लिपा में 500-700 रुपये में होम स्टे मिलते हैं। रिकांगपिओ में 800-1200 रुपये में होटल उपलब्ध हैं। ट्रेक से पहले लिपा में एक दिन आराम करने की सलाह दी जाती है। मंदिर समिति जन्माष्टमी पर भक्तों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था करती है।

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यूला कांडा का पौराणिक महत्व

मान्यता है कि पांडवों ने वनवास के दौरान यूला कांडा में विश्राम किया था। युधिष्ठिर ने यहाँ श्री कृष्ण का ध्यान किया। मंदिर में छोटी सी कृष्ण मूर्ति स्थापित है। भक्तों को यहाँ शांति और भक्ति का अनुभव होता है। यूला कांडा को स्वर्ग का द्वार भी कहा जाता है।

जन्माष्टमी मेला और भीड़

जन्माष्टमी पर यूला कांडा में मेला लगता है। गाँव और बाहर से भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर समिति भक्तों के लिए सभी व्यवस्थाएँ करती है। यह मेला सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा है। पर्यटक भी यहाँ की अनोखी परंपरा और प्राकृतिक सुंदरता देखने आते हैं।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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