शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

CJI गवई: मां और बहन ने जताया कड़ा विरोध, कहा- ‘यह जहरीली विचारधारा और घटना देश पर कलंक’

Share

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति बीआर गवई पर एक वकील ने जूता फेंकने की कोशिश की। इस घटना के बाद CJI गवई की मां कमलताई गवई और बहन कीर्ति गवई ने कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने इस हमले को देश पर कलंक और एक जहरीली विचारधारा करार दिया है। घटना के बाद आरोपी वकील को निलंबित कर दिया गया है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने इस हमले की निंदा की है।

कमलताई गवई ने कहा कि डॉक्टर भीमराव आंबेडकर द्वारा दिया गया संविधान ‘जियो और जीने दो’ के सिद्धांत पर आधारित है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी को भी कानून हाथ में लेकर अराजकता फैलाने का अधिकार नहीं है। उनका कहना था कि सभी को अपने मुद्दे शांति और संवैधानिक मार्ग से ही सुलझाने चाहिए। यह बात उन्होंने CJI गवई पर हुए हमले का जिक्र करते हुए कही।

बहन कीर्ति ने कहा – घटना देश पर कलंक

CJI गवई की बहन कीर्ति गवई ने इस घटना पर और भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे देश पर कलंक लगाने वाली और निंदनीय घटना बताया। कीर्ति ने कहा कि यह केवल व्यक्तिगत हमला नहीं, बल्कि एक जहरीली विचारधारा है, जिसे रोकना ही होगा। उन्होंने मांग की कि असंवैधानिक आचरण करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विरोध हमेशा शांतिपूर्ण और संविधान के दायरे में होना चाहिए ताकि बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों को कोई आंच न आए।

क्या है घटना की वजह?

यह घटना सोमवार को तब हुई जब CJI गवई की बेंच कोर्ट में सुनवाई कर रही थी। आरोपी वकील राकेश किशोर कुमार ने अचानक CJI की तरफ जूता फेंका, हालांकि जूता बेंच तक नहीं पहुंच सका। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उसे पकड़ लिया। माना जा रहा है कि वकील खजुराहो में भगवान विष्णु की एक खंडित मूर्ति की पुनर्स्थापना से जुड़े मामले में CJI की टिप्पणियों से नाराज था। सोशल मीडिया पर CJI की टिप्पणियों की गलत व्याख्या हुई थी, जिसके बाद उन्होंने सफाई दी थी कि उनका किसी धर्म का अपमान करने का कोई इरादा नहीं था।

यह भी पढ़ें:  स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती: शेखों को लड़कियां सप्लाई करता था बाबा, व्हाट्सएप चैट से हुआ ट्रैफिकिंग का खुलासा

आरोपी वकील को निलंबित किया गया

इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने आरोपी वकील राकेश किशोर कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। बार काउंसिल के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि यह वकीलों के आचरण नियमों का उल्लंघन है। निलंबन के दौरान वकील किसी भी कोर्ट में प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। पुलिस ने भी वकील से पूछताछ की, हालांकि बाद में उसे छोड़ दिया गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने की निंदा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने सीजेआई गवई से टेलीफोन पर बात की और इस हमले पर अपना रोष जताया। पीएम मोदी ने कहा कि सीजेआई पर हुए हमले से हर भारतीय नाराज है। हमारे समाज में ऐसे निंदनीय कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है। प्रधानमंत्री ने इस परिस्थिति में CJI गवई के धैर्य की सराहना करते हुए कहा कि यह न्याय के मूल्यों और संविधान की भावना को मजबूत करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

यह भी पढ़ें:  गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री रवि नाइक का 79 वर्ष की आयु में निधन, पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

CJI ने दिखाया अद्भुत धैर्य

इस पूरी घटना के दौरान CJI बीआर गवई पूरी तरह शांत और अविचलित रहे। घटना के तुरंत बाद उन्होंने अदालत में मौजूद वकीलों से कहा कि वे इससे विचलित न हों और अपनी दलीलें जारी रखें। CJI ने कहा कि उन्हें ऐसी चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ता। उनके इस धैर्य और संयम की तारीफ देशभर में हो रही है। अगले दिन कोर्ट में सुनवाई के दौरान CJI गवई ने सोशल मीडिया पर जजों की टिप्पणियों की गलत व्याख्या पर चिंता जताई थी।

राजनीतिक हलकों में गूंजी निंदा

इस घटना की निंदा करने वालों में केवल प्रधानमंत्री मोदी ही नहीं हैं। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने भी कहा कि यह हमला केवल एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि हमारे संविधान और कानून के शासन पर सीधा आघात है। बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी इस हमले को शर्मनाक बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। बॉम्बे बार एसोसिएशन ने भी इस घटना को न्यायपालिका की गरिमा पर हमला बताया है।

न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल

वकीलों और न्यायिक विशेषज्ञों का मानना है कि न्यायालय परिसर में और सीधे तौर पर मुख्य न्यायाधीश पर इस तरह का हमला न्यायपालिका की स्वतंत्रता और गरिमा के लिए एक गंभीर चुनौती है। यह घटना इस बात का संकेत है कि सोशल मीडिया पर फैलने वाली गलत सूचनाएं किस तरह से लोगों के व्यवहार को प्रभावित कर सकती हैं। हालांकि न्यायिक प्रक्रिया और संवैधानिक संस्थाओं में विश्वास बनाए रखना ही इसका एकमात्र समाधान है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

Read more

Related News