शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

शिमला: हाईकोर्ट ने मेयर के कार्यकाल पांच वर्ष करने वाले अध्यादेश पर की सुनवाई, 27 नवंबर तक सरकार को देना होगा जवाब

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में मंगलवार को नगर निगम शिमला के मेयर और डिप्टी मेयर के कार्यकाल को पांच वर्ष करने के सरकारी निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने प्रदेश सरकार को जवाब दायर करने का अंतिम अवसर देते हुए सत्ताईस नवंबर को अगली सुनवाई तय की है।

याचिकाकर्ता ने सरकार के हाल ही में जारी अध्यादेश को चुनौती दी है। इस अध्यादेश के तहत मेयर और डिप्टी मेयर का कार्यकाल ढाई वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष कर दिया गया है। याचिकाकर्ता ने अदालत से अंतरिम राहत के रूप में इस अध्यादेश के अमल पर रोक लगाने की मांग की थी।

अदालत ने अंतरिम रोक लगाने से किया इंकार

अदालत ने फिलहाल अध्यादेश पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया है। सुनवाई के दौरान नगर निगम शिमला के कुछ पार्षदों ने स्वयं को इस मामले में पक्षकार बनाए जाने का अनुरोध किया। याचिकाकर्ता ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई।

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न्यायालय ने पार्षदों का आवेदन स्वीकार करते हुए उन्हें पक्षकार बना लिया। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने सभी पक्षों को अपनी दलीलें पूरी करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने सरकार को अगली सुनवाई तक जवाब दायर करना अनिवार्य किया है।

मौजूदा मेयर का कार्यकाल हुआ पूरा

सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि मौजूदा मेयर का कार्यकाल चौदह नवंबर को पूरा हो गया है। याचिकाकर्ता ने मांग की कि उन्हें आगे काम करने से रोका जाए। शिमला नगर निगम में कुल इक्कीस महिलाएं पार्षद के रूप में चुनी गई हैं।

रोटेशन के हिसाब से अगले ढाई वर्ष के लिए मेयर का पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित होना है। इस बीच राज्य सरकार ने अध्यादेश जारी कर मेयर का कार्यकाल बढ़ा दिया है। इससे रोटेशन और आरक्षण का नियम प्रभावित हो सकता है।

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याचिका में उठाए गए मुख्य तर्क

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि पंद्रह मई दो हज़ार तेईस को शिमला नगर निगम के चुनाव हुए थे। चौदह नवंबर को मौजूदा मेयर का ढाई वर्ष का कार्यकाल पूरा हो गया है। सरकार द्वारा जारी किया गया अध्यादेश लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप नहीं है।

याचिका में कहा गया है कि सरकार का यह कदम स्थानीय निकायों की स्वायत्तता के विरुद्ध है। नगर निगम चुनावों में रोटेशन और आरक्षण की व्यवस्था को इस अध्यादेश से चोट पहुंच सकती है। अदालत ने सभी पक्षों को अपने-अपने तर्क रखने का पर्याप्त अवसर दिया है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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