Himachal News: पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने शिमला जिले के रोहड़ू क्षेत्र में एक दलित बालक की आत्महत्या पर गहरा दुख व्यक्त किया है। बारह वर्षीय बच्चे ने ऊंची जाति के घर में प्रवेश करने पर हुए अपमान के बाद जहर खा लिया था। शांता कुमार ने इस घटना को शर्मनाक और निंदनीय बताया है। उन्होंने सरकार और समाज से गंभीर आत्मचिंतन की अपील की है।
मामला तब सामने आया जब बालक गलती से पड़ोस के एक ऊंची जाति के घर में चला गया। घर की महिला ने उसे पकड़ लिया और घर के अपवित्र होने की बात कही। इसके बाद उसे गोशाला में बंद कर दिया गया। अगले दिन जब वह घर लौटा तो उसने जहर खा लिया।
अपमान सहन नहीं कर पाया बालक
मरने से पहले बालक ने अपनी मां को बताया कि वह इस अपमान को सहन नहीं कर पा रहा है। उसने कहा कि उसे ऊंची जाति के घर में जाने के कारण गहरा अपमान सहना पड़ा। इस घटना ने पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया है। स्थानीय लोग इस घटना से व्यथित हैं।
शांता कुमार ने कहा कि छुआछूत जैसी कुरीतियों के कारण भारत को सदियों की गुलामी सहनी पड़ी। यह आज भी कहीं-कहीं जीवित है। उन्होंने इस घटना को समाज के लिए कलंक बताया। उनका कहना था कि भगवान ने सभी को समान बनाया है।
छुआछूत को बताया सबसे बड़ा अपराध
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने छुआछूत को सबसे बड़ा अपराध और सबसे बड़ा पाप बताया। उन्होंने कहा कि यह देखकर दुख होता है कि 21वीं सदी के भारत में ऐसी मानसिकता मौजूद है। इस मानसिकता ने एक मासूम बच्चे की जान ले ली। उन्होंने इस पर गहरी चिंता जताई।
शांता कुमार ने मीडिया पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इतनी गंभीर घटना को मीडिया ने उचित स्थान नहीं दिया। समाज और सरकार की ओर से भी कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई। इससे उन्हें गहरा दुख हुआ है।
समाज से की आत्मचिंतन की अपील
उन्होंने सरकार और समाज दोनों से आत्मचिंतन करने का आग्रह किया। जहां कहीं भी यह पागलपन शेष है, उसे समाप्त करने की ठोस योजना बनानी चाहिए। ऐसी घटनाएं मानवता और राष्ट्र दोनों के लिए गहरा आघात हैं। समय रहते इस पर ध्यान देना जरूरी है।
शांता कुमार ने जोर देकर कहा कि छुआछूत की भावना समाज के लिए अभिशाप है। इससे मुक्ति पाना आवश्यक है। उन्होंने सभी समुदायों से एकजुट होकर इस समस्या का समाधान खोजने का आह्वान किया। शिक्षा और जागरूकता से ही इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है।
