Himachal News: शिमला के संजौली इलाके में मस्जिद में नमाज पढ़ने को लेकर तनाव की स्थिति पैदा हो गई। मुस्लिम समुदाय के लोग शुक्रवार की नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद पहुंचे थे लेकिन स्थानीय लोगों ने उनके प्रवेश का विरोध किया। विवाद बढ़ता देख पुलिस को मौके पर बुलाया गया।
पुलिस टीम ने तुरंत पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया। दोनों पक्षों के बीच बातचीत कर विवाद शांत कराया गया। इस घटना ने संजौली इलाके में पुराने मस्जिद विवाद को फिर से ताजा कर दिया है। पुलिस ने मामले में शांति बनाए रखने के लिए पर्याप्त बल तैनात किया है।
पिछले विवादों का इतिहास
इस साल 31 अगस्त को शिमला के मैहली इलाके में दो गुटों के बीच हुई मारपीट के बाद से मस्जिद विवाद शुरू हुआ था। 5 सितंबर को हिंदू संगठनों ने शिमला में बड़ा प्रदर्शन किया था। 11 सितंबर को संजौली-ढली क्षेत्र में उग्र प्रदर्शन हुआ था।
12 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी स्वयं नगर निगम आयुक्त की अदालत पहुंची थी। कमेटी ने मस्जिद के अवैध हिस्से को स्वयं तोड़ने की पेशकश की थी। इस पेशकश ने तत्कालीन स्थिति में कुछ राहत प्रदान की थी।
अदालती फैसले का सिलसिला
तीन मई को नगर निगम आयुक्त की अदालत ने इस मामले में अंतिम निर्णय सुनाया था। इसके बाद जिला अदालत ने भी इस फैसले पर अपनी मुहर लगा दी। अदालत के फैसले के बाद मामले के शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद की जा रही थी।
हालांकि शुक्रवार को हुई घटना ने स्थिति की नाजुकता को फिर से उजागर कर दिया। स्थानीय प्रशासन ने संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा बढ़ा दी है। पुलिस दोनों पक्षों के नेताओं से बातचीत कर रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
वर्तमान स्थिति और सुरक्षा इंतजाम
पुलिस प्रशासन ने संजौली इलाके में पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात कर दिए हैं। संवेदनशील स्थानों पर पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई है। प्रशासन ने दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
जिला प्रशासन ने स्थानीय नेताओं और समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की है। सभी पक्षों ने शांति और सद्भाव बनाए रखने का वादा किया है। पुलिस कमिश्नरेट ने स्थिति पर लगातार नजर रखी है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
संजौली मस्जिद विवाद कई महीनों से चल रहा है। यह विवाद मस्जिद के एक हिस्से की कानूनी स्थिति को लेकर शुरू हुआ था। स्थानीय लोगों का दावा था कि मस्जिद का एक हिस्सा अवैध निर्माण है।
मस्जिद कमेटी ने स्वेच्छा से अवैध निर्माण हटाने की पेशकश की थी। इस पहल को सकारात्मक रूप से देखा गया था। हालांकि कुछ मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं जो समय-समय पर सतह पर आ जाते हैं।
