Himachal Pradesh News: शिमला के संजौली इलाके में मस्जिद को लेकर विवाद एक बार फिर गहरा गया है। हिंदू संघर्ष समिति ने शुक्रवार को जुमे की नमाज के विरोध में प्रदर्शन का आह्वान किया है। संगठन के सदस्य संजौली थाने के बाहर अनशन पर बैठे हैं। यह अनशन अब चौथे दिन तक जारी है।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग है कि मस्जिद को अवैध घोषित किया जाए। वे चाहते हैं कि मस्जिद का बिजली-पानी कनेक्शन काटा जाए और इसे सील किया जाए। साथ ही 14 नवंबर को दर्ज एफआईआर वापस ली जाए।
रात्रिकालीन वार्ता का दावा
गुरुवार देर रात प्रशासनिक अधिकारियों और हिंदू नेताओं के बीच बातचीत हुई। हिंदू नेता मदन ठाकुर ने बताया कि बातचीत सकारात्मक रही। एफआईआर वापस लेने और मस्जिद का बिजली-पानी काटने पर सहमति बनी।
लेकिन अनशन अभी भी जारी है। नेता लिखित आदेशों का इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक लिखित आदेश नहीं मिलते, अनशन जारी रहेगा। इस बीच स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है।
पुलिस की तैयारियां
कानून व्यवस्था की चिंता के चलते पुलिस ने अतिरिक्त बल तैनात किया था। संजौली इलाके में मुख्य सड़क पर बैरिकेड्स लगाए गए थे। हालांकि शुक्रवार सुबह यह बैरिकेड्स हटा दिए गए।
पुलिस ने शहर के आसपास के इलाकों में भी अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए हैं। बीते साल हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद प्रशासन सतर्क है। स्थिति को नियंत्रण में रखने का प्रयास किया जा रहा है।
नेताओं के परस्पर विरोधी बयान
हिंदू नेता कमल गौतम ने सोशल मीडिया पर स्पष्ट किया है। उन्होंने लिखा कि आंदोलन जारी है और तब तक रहेगा जब तक मांगें नहीं मानी जातीं। उन्होंने कहा कि अभी तक कोई निर्णायक फैसला नहीं हुआ है।
देवभूमि संघर्ष समिति के सहसंयोजक विजय शर्मा ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि वे बैरिकेड्स से नहीं डरते। उनकी मांग सिर्फ अवैध मस्जिद में बिजली-पानी काटने की है।
विवाद की पृष्ठभूमि
यह विवाद 14 नवंबर से शुरू हुआ था। हिंदू संगठनों के सदस्यों ने मस्जिद में जुमे की नमाज पढ़ने से मुस्लिम समुदाय को रोका था। इस घटना के बाद पुलिस ने कार्रवाई की।
दो महिलाओं समेत छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। इसी के विरोध में हिंदू संगठनों ने अनशन शुरू किया। तब से यह विरोध प्रदर्शन जारी है।
मस्जिद का कानूनी दर्जा
शिमला नगर निगम और जिला अदालत ने संजौली मस्जिद को अवैध घोषित किया है। दोनों ने इसे ढहाने के आदेश भी जारी किए हैं। पहले सिर्फ ऊपरी दो मंजिलों को अवैध माना गया था।
बाद में पूरी मस्जिद को ही अवैध करार दे दिया गया। हालांकि निगम प्रशासन ने अभी तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है। इसी देरी के कारण हिंदू संगठन नाराज हैं।
स्थानीय प्रशासन की भूमिका
प्रशासन दोनों पक्षों के बीच समन्वय का प्रयास कर रहा है। बातचीत के जरिए समाधान निकालने की कोशिश चल रही है। स्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने पर जोर दिया जा रहा है।
पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी लगातार निगरानी कर रहे हैं। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पूरी तैयारी की गई है। स्थिति नियंत्रण में बनी हुई है।
