शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

शिमला पुलिस: बालूगंज थाने में 70 एफआईआर के चालान अदालत में नहीं किए पेश, जानें कैसे हुआ घोटाले का खुलासा

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Himachal News: शिमला के बालूगंज पुलिस थाने से बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। थाने में वर्ष 2011 से 2016 के बीच दर्ज लगभग 70 एफआईआर के चालान अब तक अदालत में पेश नहीं किए गए हैं। यह खुलासा पुलिस महकमे की आंतरिक जांच के दौरान हुआ है। इन मामलों में एनडीपीएस एक्ट, एससी-एसटी एक्ट और महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे गंभीर प्रकरण शामिल हैं।

पुलिस विभाग के भीतर हुई प्रारंभिक जांच ने इस गंभीर लापरवाही को उजागर किया है। सूत्रों के अनुसार इन मामलों के चालान वर्षों तक अदालत में पेश न किए जाने से पुलिस रिकॉर्ड और जांच प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। इस पूरे प्रकरण ने पुलिस विभाग की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

गंभीर मामले प्रभावित

इन 70 एफआईआर में कई संवेदनशील और गंभीर प्रकृति के मामले शामिल हैं। मादक पदार्थ तस्करी के केस, एससी-एसटी एक्ट से जुड़े मामले और महिलाओं के साथ अपराध के प्रकरण इनमें प्रमुख हैं। चालान अदालत में पेश न होने से इन मामलों की सुनवाई प्रभावित हुई है। पीड़ित पक्षों को न्याय मिलने में अनावश्यक देरी हुई है।

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बालूगंज थाने में उस दौरान करीब तीन से चार एसएचओ अलग-अलग समय पर तैनात रहे। हैरानी की बात यह है कि इतने लंबे समय तक किसी अधिकारी ने इन मामलों पर गौर नहीं किया। पुलिस महकमे की निगरानी व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं। विभाग के भीतर ही इस गंभीर चूक का पता चला है।

उच्चाधिकारियों को भेजी गई रिपोर्ट

शिमला पुलिस ने इस पूरे प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट मामले की गहन जांच के लिए डीजीपी को भेजी गई है। जांच पूरी होने के बाद संबंधित वर्षों में तैनात एसएचओ और जांच अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। निलंबन या विभागीय कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।

एसएसपी शिमला संजीव गांधी ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। उनका कहना है कि मामला उनके संज्ञान में है और पूरी तरह जांच की जा रही है। पुलिस प्रशासन इस पूरे प्रकरण की गहराई से जांच कर रहा है। भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो इसके लिए दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं।

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पुलिस व्यवस्था पर सवाल

यह मामला पुलिस व्यवस्था में मौजूद गंभीर खामियों को उजागर करता है। थाना स्तर पर कामकाज की निगरानी व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। विभाग के भीतर ही जब तक सख्त कार्रवाई नहीं होगी, ऐसे मामले सामने आते रहेंगे। पुलिस महकमे को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार की जरूरत है।

इस घटना से पुलिस विभाग की विश्वसनीयता प्रभावित हुई है। आम जनता का विभाग पर से भरोसा डगमगा सकता है। पुलिस प्रशासन को जनता का विश्वास फिर से हासिल करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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