Himachal News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला नगर निगम के मेयर के कार्यकाल बढ़ाने के फैसले पर सुनवाई शुरू की है। अदालत ने इस मामले में दाखिल जनहित याचिका पर आज सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधावालिया की अगुवाई वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई संभाली।
कैबिनेट के फैसले को चुनौती
एडवोकेट अंजलि सोनी वर्मा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में हिमाचल सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में 25 अक्टूबर को हुई कैबिनेट बैठक में मेयर का कार्यकाल बढ़ाया गया था। इस फैसले के खिलाफ अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है।
याचिका में हिमाचल सरकार और राज्य चुनाव आयोग को पार्टी बनाया गया है। शहरी विकास विभाग, नगर निगम शिमला के कमिश्नर और मेयर सुरेंद्र चौहान भी याचिका में शामिल किए गए हैं। अदालत ने सभी पक्षों से जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई का इंतजार रहेगा।
पार्षदों में व्याप्त है नाराजगी
मेयर का कार्यकाल बढ़ाने के फैसले से कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के पार्षद नाराज हैं। पार्षदों का कहना है कि रोस्टर में छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। रोस्टर के अनुसार अब महिला पार्षद को मेयर बनना था। सरकार के फैसले ने इस प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर दी है।
भाजपा पार्षदों ने हाल ही में नगर निगम की बैठक में इस फैसले का जोरदार विरोध किया था। उन्होंने बैठक में हंगामा किया और अपनी नाराजगी जाहिर की। विरोध की यह लहर सरकार के लिए चिंता का विषय बन गई है। सभी पार्षद इस फैसले को गलत मानते हैं।
मुख्यमंत्री ने की समन्वय की कोशिश
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कांग्रेस के सभी पार्षदों को सरकारी आवास ओक ओवर पर बुलाया था। इस बैठक में उन्होंने पार्षदों के साथ समन्वय स्थापित करने की कोशिश की। मुख्यमंत्री ने पार्टी के अंदर उठ रहे विरोध को शांत करने का प्रयास किया। हालांकि यह प्रयास पूरी तरह सफल नहीं हो पाया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला सरकार के लिए कानूनी और राजनीतिक चुनौती बन गया है। हाईकोर्ट की सुनवाई इस मामले में निर्णायक साबित होगी। कोर्ट का फैसला नगर निगम की राजनीति को नई दिशा देगा। सभी की नजरें अदालत के आगे के फैसले पर टिकी हैं।
