Shimla News: राजधानी शिमला में अगस्त महीने में जानवरों के काटने के 449 नए मामले सामने आए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 221 मामले कुत्तों के काटने के हैं। बंदरों ने 151 लोगों को काटा, जबकि शेष मामले बिल्लियों और अन्य जानवरों से जुड़े हैं। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से सतर्कता बरतने और घाव होने पर तुरंत इलाज लेने की अपील की है।
कुत्तों के काटने के मामले सबसे अधिक
अगस्त में दर्ज कुल मामलों में से लगभग आधे कुत्तों के काटने से जुड़े हैं। शहर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या एक बड़ी चिंता का विषय बनी हुई है। बंदरों के हमले भी कम नहीं हैं और उन्होंने 151 लोगों को निशाना बनाया। ये आंकड़े शहर में मनुष्य और जानवरों के बीच बढ़ते संघर्ष को दर्शाते हैं।
रेबीज का बना रहता है खतरा
जानवरों के काटने से सबसे बड़ा खतरा रेबीज नामक घातक बीमारी का होता है। यह एक वायरल बीमारी है जो सीधे तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है। इसके अलावा टेटनस और गंभीर संक्रमण का भी जोखिम रहता है। समय पर उचित उपचार न मिलने पर स्थिति जानलेवा हो सकती है।
काटे जाने पर तुरंत करें ये काम
डॉक्टरों का स्पष्ट मानना है कि काटे जाने पर तुरंत घाव को साफ पानी और साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए। इस प्रक्रिया को कम से कम पंद्रह मिनट तक जारी रखना चाहिए। यह कदम वायरस और बैक्टीरिया को हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। घाव को कभी भी ढककर नहीं रखना चाहिए।
तुरंत लगवाएं एंटी रेबीज वैक्सीन
घाव धोने के बाद सबसे जरूरी कदम है तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना। पीड़ित व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर एंटी रेबीज वैक्सीन का इंजेक्शन अवश्य लगवाना चाहिए। टीकाकरण में किसी भी प्रकार की देरी गंभीर परिणाम दे सकती है। सरकारी अस्पतालों में वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
लापरवाही न बरतें, घरेलू उपचार न करें
स्वास्थ्य विशेषज्ञ लोगों से घरेलू उपचार या जड़ी-बूटियों पर भरोसा न करने की चेतावनी देते हैं। ऐसी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। काटने वाले जानवर की प्रकृति चाहे जो भी हो, चिकित्सकीय सलाह लेना अनिवार्य है। समय पर सही इलाज मिलने से मरीज की जान बचाई जा सकती है।
सतर्कता और बचाव है जरूरी
इस समस्या से निपटने के लिए सतर्कता सबसे अच्छा उपाय है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से लावारिस कुत्तों और बंदरों से दूरी बनाए रखने का आग्रह किया है। साथ ही, पालतू जानवरों का समय पर टीकाकरण कराना भी बेहद जरूरी है। नागरिकों की जागरूकता ही ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने में मददगार साबित होगी।
