शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

शिमला हत्याकांड: 4 साल के युग केस में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ भड़के लोग, सुप्रीम कोर्ट में मांगेगा परिवार इंसाफ

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Shimla News: शिमला के माल रोड पर गुरुवार को जनरोष देखने को मिला। चार साल के बच्चे युग की हत्या के मामले में हाईकोर्ट के ताजा फैसले के खिलाफ लोगों ने सीटीओ कार्यालय के पास रैली निकाली। युग के परिजनों ने आंखों पर काली पट्टी बांधकर न्याय प्रणाली पर अपना गहरा अविश्वास जताया। इस दौरान भीड़ ने दोषी तेजिंद्र को बरी किए जाने के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 11 साल पुराने इस सनसनीखेज मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने तीन दोषियों में से एक तेजिंद्र को बरी कर दिया है। अन्य दो दोषियों की सजा को फांसी से बदलकर उम्रकैद कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सीआईडी यह साबित नहीं कर पाई कि बच्चे की हत्या किस तरह से हुई।

युग के पिता विनोद गुप्ता इस फैसले से नाराज और निराश हैं। उन्होंने कहा कि 11 साल बीत जाने के बाद भी उनके बेटे को इंसाफ नहीं मिला। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलना उनके लिए स्वीकार्य नहीं है। उनका कहना है कि दोषियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी।

विनोद गुप्ता ने साफ किया कि वह इस फैसले को चुनौती देंगे। वह युग को न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। परिवार की मांग है कि सर्वोच्च न्यायालय तुरंत फांसी की सजा को बहाल करने का आदेश दे। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट में एक नई कानूनी लड़ाई शुरू होगी।

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यह पूरा मामला 14 जून, 2014 का है। शिमला के राम बाजार इलाके से तीन लोगों ने चार साल के युग का अपहरण कर लिया था। अपहरण का मकसद फिरौती की रकम वसूलना था। इस घटना ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया था। पुलिस ने बच्चे की तलाश के लिए बड़ा अभियान चलाया।

दो साल बाद अगस्त 2016 में इस मामले को एक भयावह मोड़ मिला। शिमला के भराड़ी इलाके में एक पेयजल टैंक से युग का कंकाल बरामद हुआ। जांच में पता चला कि अपहरणकर्ताओं ने मासूम के शरीर में पत्थर बांध दिया था। उसे जिंदा पानी से भरे टैंक में फेंक दिया गया था।

मामले की जांच की जिम्मेदारी सीआईडी को दी गई थी। एजेंसी ने गहन जांच के बाद 25 अक्टूबर, 2016 को अदालत में चार्जशीट दायर की। इसके बाद 20 फरवरी, 2017 से मामले का ट्रायल शुरू हुआ। ट्रायल के दौरान कुल 135 गवाहों में से 105 के बयान दर्ज किए गए।

निचली अदालत ने इस मामले की सुनवाई तेजी से पूरी की। कोर्ट ने साढ़े दस महीने के रिकॉर्ड समय में ही फैसला सुना दिया। अदालत ने तीनों आरोपियों को दोषी ठहराया और उन्हें फांसी की सजा सुनाई। यह फैसला सुनकर युग के परिवार को कुछ राहत मिली थी। लेकिन अब हाईकोर्ट के फैसले ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

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हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सबूतों की कमी को प्रमुख आधार बताया। अदालत ने कहा कि सीआईडी हत्या के तरीके को साबित नहीं कर पाई। इसी कारण एक आरोपी को बरी करने का फैसला लिया गया। दो अन्य आरोपियों की सजा में भी परिवर्तन किया गया। यह फैसला जनभावनाओं के विपरीत है।

शिमला के लोगों ने हाईकोर्ट के फैसले का कड़ा विरोध किया है। लोगों का मानना है कि नाबालिग बच्चे की क्रूर हत्या के मामले में यह फैसला नरम है। स्थानीय निवासियों ने युग के परिवार के साथ एकजुटता दिखाई है। उनकी मांग है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

यह मामला अब देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंचेगा। युग के परिवार को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट में उन्हें न्याय मिलेगा। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह केस बच्चों के खिलाफ अपराधों और सजा की कानूनी प्रक्रिया पर एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम करेगा। पूरा देश अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगा।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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