Himachal News: नगर निगम शिमला की मासिक बैठक में गुरुवार को जमकर हंगामा हुआ। भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों ने मेयर और डिप्टी मेयर का कार्यकाल बढ़ाने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया। पार्षदों ने मेयर के सामने ही धरना दिया और नारेबाजी शुरू कर दी। विवाद रोस्टर प्रणाली में बदलाव को लेकर छिड़ा है। हंगामे के बीच बैठक स्थगित करनी पड़ी।
पार्षदों का मुख्य तर्क यह था कि रोस्टर के मुताबिक ढाई साल बाद मेयर और डिप्टी मेयर का पद महिला को मिलना चाहिए। लेकिन सरकार ने इस नियम का पालन नहीं किया। इस पर पार्षदों ने जोरदार विरोध जताया। महापौर सुरेंद्र चौहान ने पार्षदों की मांग पर प्रस्ताव सरकार को भेजने की बात कही। लेकिन विरोध कर रहे पार्षद इस पर तैयार नहीं हुए।
भाजपा पार्षदों ने दिया स्पष्टीकरण
भाजपा पार्षद कल्याण धीमान, कमलेश मेहता, आशा शर्मा और बिट्टू कुमार पाना ने संयुक्त रूप से बयान दिया। उन्होंने कहा कि रोस्टर प्रणाली के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि पिछले कार्यकाल में भी ढाई-ढाई साल के लिए ही मेयर और डिप्टी मेयर चुने गए थे। इस परंपरा को बनाए रखना जरूरी है।
बिट्टू कुमार पाना ने स्पष्ट कहा कि यह मामला दोबारा सदन में लाया जाए। उन्होंने वोटिंग के जरिए महापौर और उप महापौर के चुनाव की मांग की। उनका कहना था कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और सभी पार्षदों की राय सामने आ सकेगी।
किसी व्यक्ति विशेष से नहीं है विरोध
पार्षद कमलेश मेहता ने स्पष्ट किया कि उनका विरोध किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि रोस्टर प्रणाली में बदलाव भविष्य के लिए समस्या पैदा कर सकता है। इससे संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन होता है। उन्होंने नियमों के सख्ती से पालन पर जोर दिया।
कल्याण धीमान ने महिला आरक्षण का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि यदि महिलाओं को आरक्षण दिया गया है तो उनके अधिकार भी दिए जाने चाहिए। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग की। उन्होंने कहा कि सदन में वोटिंग नहीं होने तक उनका विरोध जारी रहेगा।
बैठक स्थगित होने तक चला विवाद
बैठक में विवाद इतना बढ़ गया कि कार्यवाही आगे नहीं बढ़ पाई। पार्षद लगातार नारेबाजी करते रहे। उन्होंने प्रशासनिक कामकाज को ठप कर दिया। महापौर सुरेंद्र चौहान ने स्थिति को संभालने की कोशिश की। लेकिन पार्षदों ने उनकी बात नहीं मानी। आखिरकार बैठक स्थगित करनी पड़ी।
इस घटना ने नगर निगम के कामकाज पर सवाल खड़े कर दिए हैं। निगम की महत्वपूर्ण योजनाओं और विकास कार्यों पर इसका असर पड़ सकता है। अब अगली बैठक तक स्थिति अनिश्चित बनी हुई है। दोनों पक्ष अपने-अपने रुख पर अडिग दिखाई दे रहे हैं।
