Himachal News: शिमला की संजौली मस्जिद मामले में जिला अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज कर दी है। साथ ही नगर निगम आयुक्त के ध्वस्तीकरण आदेश को बरकरार रखा है। इस फैसले के बाद अब मस्जिद की सभी पांच मंजिलें गिराई जाएंगी।
अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि निर्माण नियमों का उल्लंघन हुआ था। इसलिए ध्वस्तीकरण के आदेश पूर्णतः वैध हैं। नगर निगम प्रशासन को अब मस्जिद की सभी मंजिलें गिराने की प्रक्रिया आगे बढ़ाने का अधिकार मिल गया है। यह फैसला मामले में अहम मोड़ साबित होगा।
पहले भी चली थी कानूनी लड़ाई
इससे पहले तीन मई को नगर निगम आयुक्त ने मस्जिद की निचली दो मंजिलों को गिराने के आदेश दिए थे। वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी ने इस आदेश को अदालत में चुनौती दी थी। उनका तर्क था कि मस्जिद का निर्माण उचित तरीके से किया गया था। लेकिन अदालत ने उनके इस तर्क को स्वीकार नहीं किया।
जिला अदालत ने विस्तार से सभी पक्षों की दलीलें सुनीं। नगर निगम की ओर से पेश हुए साक्ष्यों और दस्तावेजों का अध्ययन किया गया। अदालत ने पाया कि भवन निर्माण संबंधी नियमों का स्पष्ट उल्लंघन हुआ है। इस आधार पर याचिका खारिज करने का निर्णय लिया गया।
नगर निगम की कार्रवाई जारी
नगर निगम आयुक्त के आदेश में कहा गया था कि मस्जिद का निर्माण बिना अनुमति के किया गया। इसके अलावा निर्माण नियमों का पालन नहीं किया गया। इन्हीं आधारों पर ध्वस्तीकरण का आदेश जारी किया गया था। अब अदालत ने इस आदेश को पूरी तरह से बरकरार रखा है।
स्थानीय प्रशासन ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह फैसला नियमों के पालन की दिशा में महत्वपूर्ण है। नगर निगम अधिकारियों ने बताया कि वे जल्द ही ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू कर देंगे। सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
मस्जिद कमेटी ने जताई नाराजगी
मस्जिद कमेटी के सदस्यों ने अदालत के फैसले पर निराशा जताई है। उनका कहना है कि यह फैसला मुस्लिम समुदाय के लिए निराशाजनक है। कमेटी के पदाधिकारियों ने संकेत दिए कि वे उच्च न्यायालय में अपील कर सकते हैं। हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
स्थानीय निवासियों में इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ लोगों का मानना है कि नियमों का पालन जरूरी है। वहीं कुछ लोगों ने मस्जिद के ध्वस्तीकरण पर अफसोस जताया है। प्रशासन ने शांति बनाए रखने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की है।
भवन निर्माण नियमों पर जोर
यह मामला भवन निर्माण नियमों के पालन की अहमियत को रेखांकित करता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि नियमों का उल्लंघन चाहे किसी भी इमारत का हो, बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस फैसले से शहर में अवैध निर्माण पर अंकुश लगने की उम्मीद है।
नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि वे शहर के सभी अवैध निर्माणों against कार्रवाई जारी रखेंगे। उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि वे बिना अनुमति के निर्माण कार्य न करें। नियमों का पालन करना सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है।
