Shimla News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला के सनसनीखेज युग हत्याकांड में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने दो दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है, जबकि एक अन्य दोषी को बरी कर दिया गया है। यह निर्णय सत्र अदालत के फैसले की पुष्टि और दोषियों की अपील पर आया है। अब दोनों दोषियों को जीवनपर्यंत जेल में रहना होगा। पीड़ित परिवार ने इस फैसले पर गहरी नाराजगी जताई है।
हाईकोर्ट की विशेष खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति राकेश कैंथला की पीठ ने इस मामले की लंबी सुनवाई की। मामला सत्र न्यायाधीश शिमला की ओर से एक रेफरेंस के तौर पर हाईकोर्ट के सामने पेश किया गया था। साथ ही दोषियों ने अपनी सजा के खिलाफ अपील दायर की थी। अदालत ने सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पीड़ित युग के पिता विनोद गुप्ता इस फैसले से नाखुश हैं। उन्होंने कहा कि ग्यारह साल बीत जाने के बाद भी उनके बेटे को न्याय नहीं मिला। उनका मानना है कि दोषियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी। गुप्ता ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की घोषणा की है। वह सर्वोच्च न्यायालय में तुरंत फांसी की सजा की मांग करेंगे।
यह घटना 14 जून 2014 की है। शिमला के राम बाजार इलाके में चार साल के मासूम युग का अपहरण कर लिया गया था। अपहरण करने वालों ने फिरौती की मांग की थी। करीब दो साल बाद अगस्त 2016 में इस मामले ने सनसनीखेज मोड़ लिया। शिमला के भराड़ी इलाके के एक पानी के टैंक से युग का कंकाल बरामद हुआ।
जांच में पता चला कि अपहरणकर्ताओं ने बच्चे को मार डाला था। उन्होंने युग के शव में एक भारी पत्थर बांध दिया था। फिर उसे पानी के टैंक में फेंक दिया गया था। इस क्रूरता ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की।
पुलिस ने तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया। इनमें तेजिंद्र सिंह, चंद्र शर्मा और विक्रांत बख्शी शामिल थे। ये सभी पीड़ित परिवार के पड़ोसी थे। जांच के दौरान पता चला कि फिरौती के लिए पैसे की मांग की गई थी। मामले की सुनवाई सत्र अदालत में हुई। अदालत के सामने कुल 105 गवाहों ने अपनी गवाही दी।
5 सितंबर 2018 को सत्र अदालत ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया। न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने इस मामले को दुर्लभतम श्रेणी का बताया। अदालत ने तीनों आरोपियों को दोषी ठहराया। सभी तीनों को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई। अदालत ने कहा कि यह मामला समाज के लिए एक सबक है।
अब हाईकोर्ट के फैसले ने इस मामले में नया मोड़ पैदा कर दिया है। हाईकोर्ट ने चंद्र शर्मा और विक्रांत बख्शी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। इसका मतलब है कि इन दोनों को अब जेल में ही अपना जीवन बिताना होगा। वहीं तीसरे आरोपी तेजिंद्र सिंह को अदालत ने बरी कर दिया है।
हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब कानूनी लड़ाई और लंबी खिंच सकती है। पीड़ित परिवार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी। वहीं दोषी ठहराए गए लोग भी अपनी सजा को चुनौती दे सकते हैं। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही अंतिम माना जाएगा।
यह मामला भारतीय न्याय प्रणाली में डेथ पेनल्टी की बहस को फिर से सामने ले आया है। कानून विशेषज्ञों का मानना है कि हाईकोर्ट के फैसले के पीछे कुछ कानूनी पहलू रहे होंगे। हाई कोर्ट ने संभवतः कुछ ऐसे सबूतों को पर्याप्त नहीं माना होगा जो मृत्युदंड के लिए जरूरी हैं।
इस मामले ने पूरे हिमाचल प्रदेश में लंबे समय तक सुर्खियां बटोरी थीं। एक मासूम बच्चे की क्रूर हत्या ने लोगों को झकझोर कर रख दिया था। अब हाईकोर्ट के फैसले ने एक नई कानूनी बहस को जन्म दे दिया है। पूरा देश अब देख रहा है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला लेती है।
