Shimla News: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी (IGMC) में चला हाई वोल्टेज ड्रामा अब खत्म हो गया है। जिस मारपीट की वजह से पूरे प्रदेश में डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी थी, उसका अंत बेहद भावुक रहा। इस विवाद में शामिल डॉक्टर और मरीज ने एक-दूसरे को गले लगाकर पुरानी कड़वाहट मिटा दी है। राज्य सचिवालय में दोनों पक्षों के बीच लिखित समझौता हुआ और मामला पूरी तरह सुलझ गया।
सचिवालय में हुआ फैसला
जानकारी के मुताबिक, शिमला स्थित राज्य सचिवालय में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान के कार्यालय में यह समझौता हुआ। इस दौरान दोनों पक्षों के माता-पिता भी वहां मौजूद थे। दोनों ही पक्षों ने माना कि गलती उनसे हुई थी। बातचीत के बाद डॉक्टर राघव नरूला और मरीज अर्जुन सिंह पंवार ने गिले-शिकवे भुलाकर हाथ मिलाया।
गले मिले डॉक्टर और मरीज
समझौते के बाद माहौल पूरी तरह बदल गया। मरीज अर्जुन सिंह पंवार ने बताया कि डॉक्टर ने उनसे माफी मांगी है। अर्जुन ने कहा कि इस विवाद के कारण आम जनता को जो परेशानी हुई, उसके लिए वह जनता से माफी मांगते हैं। वहीं, डॉक्टर राघव ने मीडिया के सामने मरीज को गले लगाया। उन्होंने कहा कि वह अब अपनी पुलिस शिकायत वापस ले लेंगे। डॉक्टर की मां ने भी भावुक होकर कहा कि दोनों बच्चे हमारे हैं और गलती दोनों तरफ से हुई थी।
सीएम के हस्तक्षेप से बनी बात
इस मामले में सीएम सुक्खू के हस्तक्षेप ने बड़ी भूमिका निभाई। अर्जुन के पिता ने सीएम का आभार जताते हुए कहा कि उन्हें इंसाफ मिला है। उन्होंने चौपाल के लोगों के समर्थन के लिए भी धन्यवाद दिया। सीएम के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने 22 दिसंबर की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने खुशी जताई कि शिमला के इस बड़े अस्पताल का विवाद अब शांत हो गया है।
हड़ताल और जांच का असर
गौरतलब है कि इस विवाद के बाद रेजिडेंट डॉक्टरों ने पूरे प्रदेश में हड़ताल कर दी थी। सरकार ने पहले डॉक्टर को बर्खास्त कर दिया था, लेकिन बाद में दोबारा जांच के आदेश दिए। सीएम ने सोमवार को ही स्वास्थ्य मंत्री और अधिकारियों के साथ बैठक कर नई जांच कमेटी बनाई थी। सरकार के आश्वासन के बाद डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली थी। अब दोनों पक्षों में समझौता होने से प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है।
