Himachal News: शिमला के मशहूर आईजीएमसी अस्पताल (IGMC) में एक डॉक्टर द्वारा मरीज के साथ मारपीट का शर्मनाक मामला सामने आया है। ऑक्सीजन पर लेटे हुए मरीज अर्जुन पंवार के साथ हुए इस दुर्व्यवहार ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मंगलवार को चौपाल के विधायक बलबीर वर्मा पीड़ित परिवार के साथ स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल से मिलने पहुंचे। इस दौरान बेटे का हाल बताते हुए बुजुर्ग पिता की आंखों से आंसू छलक पड़े। यह मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है और आरोपी डॉक्टरों पर बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है।
ऑक्सीजन सपोर्ट पर था मरीज, डॉक्टर ने बरसाए थप्पड़
विधायक बलबीर वर्मा ने बताया कि कुपवी निवासी अर्जुन पिछले 15 सालों से बच्चों को पढ़ा रहा है। वह सांस लेने में दिक्कत के चलते अस्पताल में भर्ती हुआ था। आरोप है कि जब वह वार्ड में आराम कर रहा था, तब डॉक्टर राघव ने उसके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया और मारपीट शुरू कर दी। विधायक ने दावा किया कि एक डॉक्टर हमला कर रहा था, जबकि दूसरा उसके पैर पकड़कर उसे काबू कर रहा था। इसे केवल झगड़ा नहीं, बल्कि ‘हत्या का प्रयास’ बताया जा रहा है।
पिता का छलका दर्द, बोले- “नौकरी से निकालो”
पीड़ित के पिता ने रोते हुए मीडिया को बताया कि डॉक्टर राघव ने उनके बेटे को बेरहमी से पीटा। उन्होंने कहा कि डॉक्टर का नाम भले ही राघव है, लेकिन उसे अपने नाम की परिभाषा तक नहीं पता। पिता ने मांग की है कि ऐसे व्यक्ति को तुरंत सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया जाना चाहिए। वहीं, घटना का वीडियो वायरल होने के बाद स्थानीय जनता में भी गहरा आक्रोश है। मरीज के दोस्तों ने पैर पकड़ने वाले दूसरे डॉक्टर पर भी सख्त कार्रवाई की मांग की है।
स्वास्थ्य मंत्री का कड़ा रुख, रिपोर्ट तलब
स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने इस घटना को अमानवीय बताया है। उन्होंने वीडियो देखने के बाद कहा कि ऐसे लोग डॉक्टर कहलाने के योग्य नहीं हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि दोषी डॉक्टरों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। आज दोपहर 3 बजे शिमला के एसपी को रिपोर्ट के साथ बुलाया गया है। इसके बाद पूरी रिपोर्ट मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को सौंपी जाएगी। सरकार ने स्पष्ट किया है कि अस्पतालों में मरीजों की सुरक्षा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
