Himachal News: शिमला के संजौली मस्जिद मामले में देव भूमि हिंदू संघर्ष समिति ने मांग उठाई है। संगठन के सदस्यों ने नगर निगम आयुक्त को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने मस्जिद की शेष दो कथित अवैध मंजिलों को गिराने की मांग की। यह मांग उच्च न्यायालय के आदेशों के तत्काल पालन के संदर्भ में है।
संगठन ने अदालत के निर्देशों के अनुरूप कार्रवाई पूरी करने की बात कही। उन्होंने उनतीस दिसंबर तक का समय सीमा का जिक्र किया। समिति ने यह पेशकश भी रखी कि यदि नगर निगम या मस्जिद समिति कार्य कराने में असमर्थ है तो वह स्वयं यह काम निःशुल्क कराएगी।
अदालत के आदेशों का पालन अनिवार्य
देव भूमिहिंदू संघर्ष समिति के सदस्य मदन ठाकुर ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि अदालत के आदेशों को लागू किया जाना अनिवार्य है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उच्च न्यायालय ने मस्जिद की ऊपरी मंजिलों को गिराने का आदेश दिया है।
ठाकुर ने कहा कि मामले के अन्य पहलुओं के लिए अदालत ने नौ मार्च तक का समय दिया है। उन्होंने कहा कि वह उस तारीख का इंतजार करेंगे। लेकिन अवैध हिस्से को अभी गिराया जाना चाहिए। उन्होंने आयुक्त और राज्य सरकार से दायित्व निभाने की उम्मीद जताई।
कानून के चयनात्मक पालन पर उठाए सवाल
मदन ठाकुर नेकानून के चयनात्मक पालन पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पूरा राज्य और देश यह सब देख रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सनातनियों पर बार-बार लाठीचार्ज हो सकता है लेकिन अवैध ढांचा नहीं गिराया जा रहा।
उन्होंने इसे पूरे सिस्टम के लिए शर्म की बात बताई। संगठन के संयोजक विजय शर्मा ने भी इस मामले में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद किसी ज्ञापन की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए थी।
वक्फ बोर्ड ने उच्च न्यायालय का किया रुख
विजय शर्माने कहा कि मस्जिद के ध्वस्तीकरण की समय सीमा नजदीक आ रही है। अब केवल पंद्रह दिन बचे हैं। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड को इस मामले में स्थिति रिपोर्ट लेकर सार्वजनिक करनी चाहिए। यह रिपोर्ट एक-दो दिन में आनी चाहिए।
शर्मा ने दोहराया कि यदि नगर निगम के पास श्रमिकों की कमी है तो समिति के स्वयंसेवक यह कार्य करने को तैयार हैं। उन्होंने बताया कि नगर निगम आयुक्त ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। इस बीच हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड ने उच्च न्यायालय का रुख किया है।
मामला फिलहाल न्यायिक विचाराधीन है। नगर निगम प्रशासन ने अभी तक कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया है। स्थानीय प्रशासन द्वारा आगामी कार्रवाई की रूपरेखा तैयार की जा रही है। सभी पक्षों से कानूनी प्रक्रिया का पालन करने की अपेक्षा की जाती है।
