Himachal Pradesh News: शिमला में कैथलीघाट से ढली के बीच बन रहे 3,914 करोड़ रुपये के फोरलेन प्रोजेक्ट में बड़ी लापरवाही सामने आई है। लिंडीधार में भूस्खलन से पांच मंजिला भवन ढहने के मामले में जिला प्रशासन ने जांच शुरू की है। प्रारंभिक रिपोर्ट में सड़क निर्माण मानकों की अनदेखी का खुलासा हुआ है।
जिला प्रशासन पुरानी सर्वे रिपोर्ट की जांच कर रहा है। साथ ही अपने स्तर पर नया सर्वे भी करवा रहा है। उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने पुष्टि की कि मंगलवार तक रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई होगी। इस मामले में वन विभाग, निर्माण कंपनी और एनएचएआई जांच के दायरे में हैं।
प्रारंभिक जांच में क्या सामने आया
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि फोरलेन निर्माण मूल स्वीकृत लाइन से बाहर किया गया। सड़क की असली धुरी से हटकर कटिंग की गई। इससे भूस्खलन का खतरा बढ़ गया। बरसात के मौसम में हुए भारी भूस्खलन ने लिंडीधार के पांच मंजिला भवन को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया।
पुरानी सर्वे रिपोर्ट में सड़क की मूल लाइन, निर्माण चौड़ाई और सुरक्षा मानक दर्ज थे। नए सर्वे में वास्तविक और स्वीकृत लाइन में अंतर पाया गया। कुछ स्थानों पर कटिंग की गहराई अनुमति से अधिक पाई गई। ढलानों के स्थिरीकरण में भी लापरवाही देखी गई।
प्रशासन की तैयारी
जिला प्रशासन ने कहा है कि लापरवाही के पुख्ता सबूत मिलने पर कानूनी कार्रवाई होगी। जिम्मेदार अधिकारियों और कंपनियों से जवाब तलब किया जाएगा। अवैध निर्माण के मामले में एफआईआर दर्ज की जा सकती है। सभी दोषियों को चिह्नित किया जा रहा है।
इस फोरलेन प्रोजेक्ट ने पहले भी सुर्खियां बटोरी थीं। पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह के निरीक्षण के दौरान एनएचएआई अधिकारी के थप्पड़ मारने का मामला सामने आया था। स्थानीय लोगों ने भी पहले ही इस निर्माण को लेकर कई शिकायतें दर्ज कराई थीं।
भूस्खलन का मुख्य कारण
सड़क निर्माण में मूल एलाइनमेंट से बाहर जाना भूस्खलन का प्रमुख कारण बना। असुरक्षित ढलान खोदाई और अत्यधिक कटिंग ने पहाड़ को अस्थिर कर दिया। पुराने रिकॉर्ड में मिली विसंगतियों ने प्रशासन का शक और बढ़ा दिया। नए सर्वे में इन सभी बातों की पुष्टि हो रही है।
जिला प्रशासन का पूरा ध्यान हादसे वाले क्षेत्र पर केंद्रित है। सुरक्षा मानकों की अनदेखी के स्पष्ट संकेत मिले हैं। ढलानों को स्थिर करने में गंभीर चूक हुई है। आगामी कार्रवाई के लिए अंतिम रिपोर्ट का इंतजार है।
