Himachal News: शिमला के भट्टाकुफर में साढ़े तीन मंजिला इमारत गिरने के मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) सहित संबंधित एजेंसियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह कार्रवाई भवन मालिक चंदा देवी के पत्र के बाद शुरू हुई, जिसमें उन्होंने शिमला हादसा के लिए मुआवजे की मांग की थी।
कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने चंदा देवी के पत्र पर स्वतः संज्ञान लिया। कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, NHAI के परियोजना निदेशक, उपायुक्त शिमला, एसडीएम ग्रामीण शिमला और चमियाना ग्राम पंचायत को नोटिस जारी किया। इन सभी को मामले की स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया गया है।
निर्माण कंपनी को भी नोटिस
हाईकोर्ट ने शिमला बाईपास पर फोरलेन सड़क निर्माण कार्य कर रही कंपनी “मैसर्स गावर शिमला हाईवे प्राइवेट लिमिटेड” को भी प्रतिवादी बनाया। कंपनी के प्रबंध निदेशक के माध्यम से नोटिस जारी किया गया है। कोर्ट ने इस निर्माण कार्य को इमारत गिरने का संभावित कारण माना है और जवाब तलब किया है।
चंदा देवी का आरोप
चंदा देवी ने अपने पत्र में बताया कि उनकी साढ़े तीन मंजिला इमारत भट्टाकुफर में थी, जो भारी बारिश के दौरान ढह गई। उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर शकराल से ढली तक चल रहे फोरलेन प्रोजेक्ट के निर्माण कार्यों ने जमीन को कमजोर किया। इस वजह से उनकी इमारत प्रभावित हुई और अंततः गिर गई। उन्होंने इसके लिए सरकार और संबंधित एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराया।
मुआवजे की मांग
चंदा देवी ने कोर्ट से उचित मुआवजे की मांग की है। उनका कहना है कि निर्माण कार्यों की लापरवाही के कारण उनकी संपत्ति का नुकसान हुआ। हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और अगली सुनवाई में दोनों पक्षों की दलीलें सुनी जाएंगी।
